मंगलवार, 6 अगस्त 2019

बच्चे को काजल लगाते समय सावधानी जरूरी

जीवनशैली : बच्चे को बुरी नजर से बचाने के लिए उसके आंखों में काजल लगाया जाता है। भारत के सभी गांव, शहरों और यहां तक कि महानगरों में आज भी यह रिवाज पूरे शौक से निभाया जाता है, लेकिन स्वाल यह उठता है कि क्या ऐसा करना सही है? आंखें शरीर का सबसे कोमल अंग होती हैं, ऐसे में नन्हें बच्चे की आंखों में काजल लगाना क्या ठीक रहेगा? यदि दादी, नानी की सलाह मानें तो बेशक काजल ही वह रामबाण औषधि है जो आपके शिशु को सारी बीमारियों और तकलीफ से बचाता है इसलिए आखों में जितना ज्यादा काजल होगा शिशु की आंखें उतनी ही तेज तर्रार और सुंदर दिखेंगी, लेकिन डाक्टरों की राय इसके बिल्कुल उलट है और आंखों में काजल लगाना शिशु के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। काजल के इस्तेमाल से नवजात शिशु की आंखों से लगातार पानी आने की शिकायत हो सकती है। 
आखों में खुजली के साथ एलर्जी भी हो सकती है। शिशु की आंखों में काजल लगाने पर उसकी आखों के किनारे यदि ठीक से न साफ किए जाएं तो यह उन किनारों पर जमा हो जाता है जिससे संक्रमण होने का खतरा रहता है। हमारी आखों के बीच का हिस्सा नाजुक होता है इसलिए आखों में धूल-मिट्टी और गंदगी जाने यह चीजें बड़ी जल्दी आखों पर असर करती हैं और यह शिशु की आंखों की रोशनी को भी प्रभावित कर सकता है। यदि आप डॉक्टरों की इन बातों से सहमत हैं और फिर भी अपने बच्चे की आंखें काजल से सजाना चाहती हैं तो ऑरगेनिक काजल का इस्तेमाल करें। बाजार में मिलने वाले काजल के बजाय घर में बने काजल का इस्तेमाल करें। बाजार से काजल खरीदने पर ध्यान रहे कि यह किसी अच्छी कंपनी द्वारा बना हुआ हो जिससे इस बनाने में इस्तेमाल चीजों की जानकारी रहे।

लिपस्टिक से पता चलता है महिलाओं का स्वभाव

जीवनशैली : महिलाओं का चेहरा खुली किताब होता है, जो उनके बारे में हर राज खोल देता है। मगर क्या आप जानते हैं कि उनकी लिपस्टिक शेड्स भी आप लड़कियों के बारे में बहुत सी बातें जान सकते हैं। जी हां, लिपस्टिक सिर्फ लड़कियों की पर्सनैलिटी ही नहीं निखारती बल्कि वह उनके स्वभाव से जुड़े बहुत से राज भी खोलती हैं। रेड लिपस्टिक पसंद करने वाली महिलाएं काफी रोमांटिक, बोल्ड और कॉन्फिडेंट नेचर की होती हैं। इन्हें लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाना पसंद होता है। इतना ही नहीं, यह अपनी लव लाइफ में कभी भी बोरियत नहीं आने देती। किसी महिला को पिंक लिपस्टिक पसंद है तो समझ लें कि वो दिल से काफी मासूम है और आपके लिए हमेशा ईमानदार रहेगी। इस तरह के लिप शेड्स पसंद करने वाली लड़कियां हर किसी की चहेती होती हैं। साथ ही इन्हें हंसी, मजाक करना भी काफी पसंद होता है। प्लम लिपस्टिक पसंद करने वाली लड़कियां काफी महत्वाकांक्षी होती हैं और चैलेंज लेने से नहीं डरतीं, इन्हें अपने पार्टनर से भी काफी इच्छाएं होती हैं और अगर वो इनकी उम्मीदों पर खरा न उतरे तो यह उन्हें छोड़ने से नहीं कतरातीं। ब्राउन लिप कलर पसंद करने वाली लड़कियां काफी रोमांटिक होती हैं। हर चीज को जांच परख कर लेनी वाली ये लड़कियां अपने पार्टनर को भी काफी सोच-समझकर चुनती हैं लेकिन यह जिसके साथ रिलेशनशिप में पड़ जाए फिर उसका साथ जिंदगी भर नहीं छोड़ता। जो लड़कियां स्वभाव से इमोशनल होती हैं उन्हें पर्पल लिप शेड पसंद होता है। हर मुश्किल का डटकर सामना करने वाली ये लड़कियां पार्टनर के प्रति बेहद ईमानदार होती हैं और उनका साथ कभी नहीं छोड़ती। ऑरेंज लिपस्टिक पसंद करने वाली लड़कियां काफी मजाकिया और एनर्जी से भरी होती हैं। आप लाइफ को पूरे मजे के साथ जीने में यकीन करती हैं और पार्टनर को भी कभी बोर नहीं होता। इन्हें पार्टनर के साथ घूमना-फिरना भी काफी पसंद होता है। इस तरह की लिपस्टिक पसंद करने वाली लड़कियों को समझना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि यह काफी रहस्मयी होता है। यह चीजों का काफी सीमित रखती हैं और अपने पार्टनर के से भी दिल की बात खुलकर नहीं करती। हालांकि अपनी रिलेशनशिप को लेकर यह काफी सीरियस होती हैं। पीच कलर वाली लड़कियां अपनी रिलेशनशिप को लेकर काफी सीरियस होती हैं। 
शर्मीले और शांत स्वभाव वाली यह लड़कियां हमेशा अपने पार्टनर को खुश रखती हैं। इतना ही नहीं, यह ससुराल को खुश रखना भी बखूबी जानती हैं। न्यूड कलर लिपस्टिक्स आजकल बहुत ट्रेंड में हैं। जो महिलाएं इनका अक्सर प्रयोग करती हैं, वे बदलाव में विश्वास करती हैं। यह अंदर से शर्मीली होती हैं लेकिन खुद को स्मार्ट और सजग दिखाती हैं। ऐसी महिलाएं जिंदगी जीने और एंजॉय करने में विश्वास रखती हैं। वाइन रंग की लिपस्टिक पसंद करने वाली लड़कियां काफी बोल्ड होती हैं। ऐसी लड़कियां लोगों का ध्यान खींचना बखूबी जानती हैं, साथ ही यह अपने पार्टनर को अपनी मुट्ठी में रखना पसंद करती हैं, इन्हें तेज धुन में म्युजिक सुनना पसंद होता है। 

सोमवार, 5 अगस्त 2019

आंखों के लिए जरूरी है आंसू

जीवनशैली : बड़े—बड़े लोग आंखों—आंखों में ही इशारा कर देते हैं और किसी को भनक तक नहीं लगती। आंखों में उपस्थित लैक्रीमल ग्लैंड आंसू बनाने का कार्य करते हैं। दरअसल आंसू हमारी आंखों हेतु कुदरती मॉइस्चराइजर जैसे होते हैं। आंसू की वजह से आंखें स्वस्थ बनी रहती हैं। इसी कारण आंखों की ऊपरी सतह नम रहती है एवं पलकें झपकाने पर उनको काफी आराम मिलता है। आज हम आपको इसी के थोड़े लाभ बताएंगे एवं आंखों का बचाव कैसे करना है। आमतौर पर आंखों की नमी में वृद्धि करने वाले आई ड्राप्स से ड्राई आई की दिक्कत दूर हो जाती है। यदि कोई परेशानी न हो तो भी कम से कम वर्ष में एक बार रुटीन आई चेकअप अवश्य करवाएं तथा डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन कीजिए।
 कंप्यूटर पर कार्य करते या पढ़ते वक्त हर एक घंटे के अंतराल पर दो मिनट हेतु अपनी आंखें बंद कीजिए। अपने खाने में ऐसी वस्तुएं सम्मिलित कीजिए, जिनमें एंटी ऑक्सीडेंट तत्व और विटमिन ए उपयुक्त मात्रा में उपस्थित हों। इसके लिए संतरा, पपीता, आम, नीबू एवं टमाटर आदि खाना फायदेमंद होता है। आंखों के आगे से काले घेरे एवं आंखों का सूजापन दूर रखने हेतु 8 घंटे की नींद लेवे। नींद की कमी से ना सिर्फ आंखें लाल होती हैं बल्कि चेहरे का लुक भी खराब हो जाता है। 

नियमित दातून के बाद भी नहीं जाती हैं मुंह से बदबू तो हो जाइये सावधान

जीवनशैली : नियमित रूप से ब्रश करने के अलावा खाने-पीने का भी ध्यान रखने के बावजूद भी आपके मुंह से लगातार बदबू आ रही है, तो हो सकता है कि यह किसी जानलेवा बीमारी का संकेत हो| यदि आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो तुरंत किसी चिकित्सक से सलाह लें, क्योंकि विशेषज्ञों की मानें तो मुंह से लंबे समय तक बदबू आना डायबीटीज, लंग्स, लिवर और किडनी संबंधित बीमारी होने का संकेत भी हो सकता है। मुंह से बदबू कभी भी सीधे तौर से मुंह से नहीं आती, बल्कि यह आपके पेट में किसी प्रकार की सड़न होती है, जिसके पश्चात यह बदबू मुख द्वारा बाहर निकलती है, और यह बदबू नियमित रूप से ब्रश करने के बाद भी नहीं जाती, यदि आप ऐसी तैसी स्थिति को महसूस कर रहे हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। कई बार मुंह में इकट्ठे हो रहे बैक्टीरिया बदबू का कारण बनते है और यही वजह होती है कि बैक्टीरिया आपका खून जमा देता है। जिससे व्यक्ति को स्ट्रोक हो सकता है। शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए 75 ऐसे मरीजों के ब्लड क्लॉट्स (जमा हुआ खून) सैंपलों की जांच की, जो टेम्पियर यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल में इस्केमिक स्ट्रोक का इलाज कराने आए थे। जिसके डायबीटीज की समस्या रहती है, उनके शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाती है | जिससे प्यास अधिक लगती है, जिससे आपका मुंह सूखने लगता है। इसके साथ ही डायबीटीज के कारण बॉडी में मेटाबॉलिक चेंजेस आने लगते हैं। इससे भी मुंह से  बदबू आने लगती है। जिन लोगों को किडनी की समस्या होती हैं, उनकी बॉडी में मेटाबॉलिक बदलाव आने लगते हैं। इससे बॉडी में ड्राय माउथ की समस्या हो जाती है, जिसके कारण मुंह में बदबू आने लगती है। मुंह के अंदर से निकलने वाली दुर्गंध हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी खतरनाक बीमारियों का कारण बनती है और यही वजह है कि आपको मालूम नहीं चलता लेकिन फिर भी आप बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इसके अलावा कई और दुष्प्रभाव शरीर में पड़ते हैं।

शनिवार, 3 अगस्त 2019

छोटे से लौंग के बड़े—बड़े फायदे

जीवनशैली : खाना का स्वाद बढ़ाने के साथ लौंग में और भी बहुत से अहम गुण है। लौंग का तेल सदियों से एंटीसेप्टिक यानि चोट लगने पर जख्म पर लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। लौंग में आपके स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के कई गुण होते हैं। लौंग में यूजेनॉल होता है जो साइनस व दांत दर्द जैसी स्वास्थ्य संबंधी बिमारियों को ठीक करने में मदद करता है। लौंग की तासीर भी गर्म होती है, इसीलिए सर्दी-जुकाम में भी यह बहुत लाभदायक है। रात में सोने से ठीक पहले आपको 2 लौंग खाने हैं। आप चाहें तो इसे सीधा खा सकते हैं या फिर लौंग के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह लौंग खाने से आपके पेट, सिर, गले या फिर शरीर के किसी भी भाग का दर्द कुछ ही दिनों में गायब हो जाएगा। अगर किसी को रोजाना पेट दर्द रहता है, पाचन शक्ति कमजोर है तो रात सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ वह दो लौंग निगल ले या फिर खाना खाने के बाद एक लौंग चबा लें। कुछ दिन ऐसा करने से पेट दर्द की परेशानी काफी हद तक कम हो जाएगी। पेट दर्द के अलावा सिर दर्द ठीक करने में भी सहायक है ये लौंग। इसके लिए जब भी सिर में दर्द हो तो पेन किलर की जगह एक-दो लौंग गुनगुने पानी के साथ लें, कुछ ही देर में आराम मिल जाएगा। मौसम बदलते ही या फिर बाहर का कुछ गलत खाने से यदि गले में खराश हो तो एक लौंग चबा लें या उसे जीभ पर रखलें, इससे गले की खराश या दर्द दोनों में बहुत आराम मिलता है। सर्दी-जुकाम लगने पर एक चम्मच शहद में 4 से 5 लौंग पीसकर लेने से बंद नाक से राहत मिलती है। यह प्रयोग 3-4 दिन रोजाना करने से सर्दी कुछ ही पलों में छू मंतर हो जाएगी। लौंग के प्रयोग से मुंहासे, ब्लैकहेड्स या व्हाइटहेड्स से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए अपनी स्किन के अनुसार आप जिस भी फेसपैक का इस्तेमाल करते हों उसमें थोड़ा-सा लौंग का तेल मिला लें और उसे हफ्ते में दो बार चेहरे पर लगाएं। कुछ ही दिनों में चेहरे से सभी मुहांसे दूर हो जाएंगे। दांतों में होने वाले दर्द में लौंग के इस्तेमाल से निजात मिलती है और यही कारण है कि 99 प्रतिशत टूथपेस्ट में होने वाले पदार्थो की लिस्ट में लौंग खासतौर पर शामिल होती है। दांत दर्द में लौंग चबाने से आराम मिलता है। यदि मसूड़ों में सूजन हो गई हो तो लौंग तेल के साथ हल्के हाथों से मसाज करें। खांसी और बदबूदार सांस के इलाज के लिए लौंग बहुत कारगर है। लौंग का नियमित इस्तेमाल इन समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। आप लौंग को अपने खाने में या फिर ऐसे ही सौंफ के साथ खा सकते हैं। जहरीले कीड़े के काटने पर, कट लग जाने पर, घाव पर और फंगल इंफेक्शन पर भी लौंग के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल त्वचा से जुड़ी समस्त परेशानियों को दूर करने में मददगार है। 10 से 12 लौंग पानी में उबाल कर लौंग वाली चाय बना लें। इस पानी को ठंडा कर बाल कलर करने और शैम्पू करने के बाद सिर में डालें, बाल स्वस्​थ और सुंदर हो जाएंगे।

जरा संभलकर नहायें!

जीवनशैली : नहाना यकीनन सेहत के लिए काफी अच्छा होता है, लेकिन अक्सर लोग नहाते समय कुछ गलतियां कर बैठते हैं। पूरे दिन काम के बाद नहाना यकीनन काफी अच्छा लगता है। लेकिन अगर आप देर तक हल्के गुनगुने पानी से नहाते हैं तो यह आपकी स्किन के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। ऐसा करने से स्किन की नेचुरल नमी कहीं खो जाती है और आपको रूखी स्किन का सामना करना पड़ता है। नहाते समय जब आप हेडवॉश करते हैं तो स्कैल्प को जोर से स्क्रब करते हैं। ऐसा करने से न सिर्फ आपको दोमुंहे बालों की समस्या होती है, बल्कि इससे आपके बालों को भी नुकसान पहुंचता है। कई बार तो ऐसा करने से बालों की जड़े कमजोर हो जाती हैं और आपको हेयरफॉल की समस्या का सामना करना पड़ता है। अगर आप नहाने के लिए बॉडीवॉश और लूफा का इस्तेमाल करते हैं तो यह बेहद जरूरी है कि इस्तेमाल से पहले व बाद में आप उसे अच्छे से साफ करें। अगर आप ऐसा नहीं करते तो इससे उन पर काफी बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और जब आप उससे नहाते हैं तो वह सभी बैक्टीरिया आपकी स्किन पर भी चले जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह जरूरी है कि आप हर तीन महीने में अपना लूफा बदल दें।
नहाते समय साबुन का इस्तेमाल करना बेहद आम है। लेकिन सही साबुन का चयन करना बेहद जरूरी होता है। बेहतर होगा कि आप ऐसे साबुन से दूरी बनाएं जो आपकी स्किन को रूखा बनाते हों। साथ ही बहुत अधिक साबुन का प्रयोग करने से भी बचें। इससे आपकी स्किन का रूखापन बढ़ता है। नहाने के बाद स्किन पर मॉइश्चराइजर अप्लाई करना बेहद जरूरी होता है ताकि स्किन की खोई हुई नमी को फिर से रिस्टोर किया जा सके। लेकिन बहुत से लोग इस स्टेप को छोड़ देते हैं या फिर अगर वह मॉइश्चराइजर अप्लाई करते भी हैं तो उसमें काफी वक्त लगाते हैं, जिसके कारण मॉइश्चराइजर का अधिकतर लाभ उन्हें नहीं मिल पाता। 

शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

असफलता से निराश नहीं होना चाहिए, रामायण से लें सीख

आस्था : वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड में एक बहुत प्रेरक प्रसंग है। हनुमानजी लंका में सीता को खोज रहे हैं। रावण सहित सभी लंकावासियों के भवनों, अन्य राजकीय भवनों और लंका की गलियों, रास्तों पर सीता को खोज लेने के बाद भी जब हनुमान को कोई सफलता नहीं मिली तो वे थोड़े हताश हो गए। हनुमान ने सीता को कभी देखा भी नहीं था लेकिन वे सीता के गुणों को जानते थे। वैसे गुण वाली कोई स्त्री उन्हें लंका में नहीं दिखाई दी। अपनी असफलता ने उनमें खीज भर दी। वे कई तरह की बातें सोचने लगे। उनके मन में विचार आया कि अगर खाली हाथ लौट जाऊंगा तो वानरों के प्राण तो संकट में पड़ेंगे ही। प्रभु राम भी सीता के वियोग में प्राण त्याग देंगे, उनके साथ लक्ष्मण और भरत भी। 
    बिना अपने स्वामियों के अयोध्यावासी भी जी नहीं पाएंगे। बहुत से प्राणों पर संकट छा जाएगा। क्यों ना एक बार फिर से खोज शुरू की जाए। ये विचार मन में आते ही हनुमान फिर ऊर्जा से भर गए। उन्होंने अब तक कि अपनी लंका यात्रा की मन ही मन समीक्षा की और फिर नई योजना के साथ खोज शुरू की। हनुमान ने सोचा अभी तक ऐसे स्थानों पर सीता को ढूंढ़ा है जहां राक्षस निवास करते हैं। अब ऐसी जगह खोजना चाहिए जो वीरान हो या जहां आम राक्षसों का प्रवेश वर्जित हो। ये विचार आते ही उन्होंने सारे राजकीय उद्यानों और राजमहल के आसपास सीता की खोज शुरू कर दी। अंत में सफलता मिली और हनुमान ने सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया। हनुमान के एक विचार ने उनकी असफलता को सफलता में बदल दिया। अक्सर हमारे साथ भी ऐसा होता है। किसी भी काम की शुरुआत में थोड़ी सी असफलता हमें विचलित कर देती है। हम शुरुआती हार को ही स्थायी मानकर बैठ जाते हैं। फिर से कोशिश न करने की आदत न सिर्फ अशांति पैदा करती है बल्कि हमारी प्रतिभा को भी खत्म करती है। यह प्रायोगिक है कि मनोयोग से प्रयास करने पर कार्य में सफलता मिलती है।

दम्पति को एक साथ करनी चाहिए शिव-पार्वती की पूजा

आस्था : तीन अगस्त 2019 को सावन माह के शु्क्ल पक्ष को तृतीया तिथि है। इस दिन हरियाली तीज मनाई जाती है। विवाहित महिलाओं के लिए इस पर्व का खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन देवी पार्वती की विशेष पूजा करने से जीवन साथी को शुभ फल मिलते हैं। जीवन सुखी होता है। देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का बर्तन, तांबे का लोटा, जल का कलश, दूध, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, आभूषण, चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, आंकड़े के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा, जो भी धन राशि आप चढ़ाना चाहते हैं। शनिवार को सुबह जल्दी उठें और पूजा करने का संकल्प लें। स्नान के बाद घर के मंदिर में भगवान के सामने कहें कि हम पति-पत्नी पुत्र, पौत्र, सौभाग्य वृद्धि और श्री शिव-पार्वती की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा करने का संकल्प लेते हैं। इसके बाद शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति को लाल कपड़े पर रखना चाहिए। इसके बाद आटे से बना दीपक घी भरकर जलाएं। पूजा, आरती करें। 
पूजा में ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। पति-पत्नी घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में सबसे पहले गणेश पूजन करें। गणेशजी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, चावल से पूजा करें। इसके बाद शिव-पार्वती की पूजा करें। शिव-पार्वती को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और फिर जल से स्नान कराएं। शिव-पार्वती को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद फूलों के आभूषण पहनाएं। पुष्पमाला पहनाएं। तिलक करें। ऊँ साम्ब शिवाय नमः कहते हुए भगवान शिव को अष्टगंध का तिलक लगाएं। ऊँ गौर्ये नमः कहते हुए माता पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं। अब धूप व दीप अर्पित करें। फूल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें। नेवैद्य अर्पित करें। भगवान शिव और पार्वती का बिल्व पत्र से पूजन करें। कनेर के पुष्प अर्पित करें। गौरी-शंकर के पूजन के समय ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। आरती के बाद अन्य लोगों को प्रसाद वितरित करें और पूजा में हुई भूल के लिए भगवान से क्षमा मांगे। पूरे पवित्र मन और विधि, विधान से पूजन करने पर मनवांछित फल मिलता है।

तमिलनाडु का आदि पेरुक्कु पर्व शुरू

उत्सव : आदि पेरुक्कु के साथ ही दक्षिण भारत में त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। ये त्योहार उफनती नदियों से आए पानी को लेकर यह मनाया जाता है। आदि पेरुक्कु त्योहार कावेरी नदी के प्रति श्रद्धाभाव और आभार जताने के उद्देश्य से मनाया जाता है, क्योंकि कावेरी नदी के कारण ही इलाके में संपन्नता आती है। इस त्योहार पर ज्यादातर परिवार खाना बनाकर आसपास की झील या तालाब के किनारे पिकनिक करना पसंद करते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं। ऐसा करने से लोग खुद को पर्यावरण के करीब महसूस करते हैं। महिलाएं और बच्चे शाम को इन जलाशयों के पास दीप जलाकर आभार प्रकट करते हैं।
आदि पेरुक्कु उत्सव तिरुचरापल्ली के अलावा कावेरी नदी के किनारे बसे इरोड, तंजावुर और सलेम में भी धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं सांकेतिक तौर पर सरकार भी इस दिन बाढ़ के पानी को छोड़ने के आदेश जारी करती है। आदि पेरुक्कु एक हिंदू तमिल महोत्सव है। जो तमिल महीने आदि के 18वें दिन मनाया जाता है। यह एक मानसून आधारित उत्सव है, जो मुख्य रूप से खेती से जुड़े लोग मनाते हैं। ये पर्व कावेरी नदी या किसी झील के किनारे मनाया जाता है। इस दौरान मानसून के कारण नदी में पानी काफी होता है, जो कि स्थानीय लोगों सुख-समृद्धि लेकर आता है। इस दिन महिलाएं देवी पचई अम्मा की पूजा और आराधना करती हैं। जिन्हें शांति और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार किसानों और उन लोगों द्वारा विशेष तौर पर मनाया जाता है, जिनका जीवन पानी पर निर्भर है। तमिलनाडु के कई मंदिरों में यह उत्सव मनाया जाता है। पूजा के दौरान लोग मां कावेरी और बारिश के लिए वरुणा देवी की पूजा करते हैं, ताकि बारिश अच्छी हो और उससे फसल की बढ़िया पैदावार हो।

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

सावन अमावस्या : मां लक्ष्मी को करें प्रसन्न

आस्था : 1 अगस्त 2019 यानि आज हरियाली अमावस्या है। श्रावण माह की इस अमावस्या पर अत्यंत शुभ पंचमहायोग बन रहे हैं। ये महायोग 125 साल बाद आ रहे हैं। इस दिन पहला सिद्धि योग, दूसरा शुभ योग, तीसरा गुरु पुष्यामृत योग, चौथा सर्वार्थ सिद्धि योग और पांचवां अमृत सिद्धि योग रहेगा। इन पंच महायोगों में सभी देवी-देवताओं और मां पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 
इस दिन मछलियों को नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं। हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। शाम को मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाएं। इस दिन ऐसा करने से घर से दरिद्रता दूर होती है। अमावस्या की रात को घर में पूजा करते समय पूजा की थाली में स्वस्तिक या ॐ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र रखें।

बुधवार, 31 जुलाई 2019

बहुत साहसी और निडर थे लोकमान्य तिलक

प्रेरक प्रसंग : गणित और संस्‍कृत लोकमान्य तिलक के प्रिय विषय थे। स्‍कूल में जब उनकी परीक्षाएं होतीं, तब गणित के पेपर में तिलक हमेशा कठिन सवालों को हल करना ही पसंद करते थे। लोकमान्य तिलक बचपन से ही बहुत साहसी और निडर थे। एक बार लोकमान्य तिलक के एक मित्र ने कहा कि तुम हमेशा कठिन सवालों को ही क्‍यों हल करते हो? अगर तुम सरल सवालों को हल करोगे तो तुम्‍हें परीक्षा में ज्‍यादा अंक मिलेंगे। इस पर तिलक ने जवाब दिया कि मैं ज्‍यादा-से-ज्‍यादा सीखना चाहता हूं इसलिए कठिन सवालों को हल करता हूं। अगर हम हमेशा ऐसे काम ही करते रहेंगे, जो हमें सरल लगते हैं तो हम कभी कुछ नया नहीं सीख पाएंगे। यही बात हमारी जिंदगी पर भी लागू होती है, अगर हम हमेशा आसान विषय, सरल सवाल और साधारण काम की तलाश में लगे रहेंगे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।

घर पर ही तैयार करें फेस मास्क

जीवनशैली : चिया के बीज से त्‍वचा को भी बहुत लाभ होता है। आजकल चिया के बीजों से त्‍वचा को होने वाले फायदों की बात खूब की जा रही है। इसके बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड से प्रचुर होते हैं और ये स्किन को हाइड्रेट, मॉइश्‍चराइज करने के साथ साथ लालपन कम करते हैं। ये बीज कोलाजन और इलास्टिन के लेवल को बढ़ाकर त्‍वचा की क्षतिग्रस्‍त हुई कोशिकाओं को ठीक करते हैं। जिंक, एंटीऑक्‍सीडेंट, जरूरी मिनरल्‍स से युक्‍त चिया के बीज दाग-धब्‍बों से छुटकारा, रक्‍त प्रवाह को बेहतर और त्‍वचा की चमक बढ़ाने का काम करते हैं। चिया के बीजों से खुद मास्‍क कैसे बनाएं और इसके फायदे: कैसे बनाएं फेस मास्‍क दो चम्‍मच चिया के बीज लें और उन्‍हें एक कटोरी में दो चम्‍मच पानी में डुबोकर रख दें। 20 मिनट बाद ये जैल के रूप में तैयार हो जाएगा। इस मिश्रण को किसी अन्‍य कटोरी में निकाल लें। अब इस जैल में एक चम्‍मच शहद डालें और अच्‍छी तरह से मिलाएं।
इसके बाद एक चम्‍मच ऑलिव ऑयल डालें। शहद में नमी प्रदान करने के गुण होते हैं और इसलिए ये त्‍वचा को मॉइश्‍चराइज और रंगत निखारने के काम आता है। ऑलिव ऑयल एंटीऑक्‍सीडेंट्स से भरपूर होते हैं जो स्किन को हाइड्रेट और रिपेयर करता है। फेसमास्‍क को लगाने से पहले चेहरे से धूल-मिट्टी साफ कर लें। अब सर्कुलर मोशन में चेहरे पर मास्‍क लगाएं। इसे 20 से 30 मिनट तक लगा रहने दें। गहराई में दबी मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए स्‍क्रब करें। अब गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। इसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धोएं। इससे खुले रोमछिद्र बंद हो जाते हैं। अब सूखे तौलिए से चेहरे को सुखा लें और किसी नरिशिंग मॉइश्‍चराइजर से मसाज करें।

त्वचा की परेशानियां दूर कर देती हैं अमरूद की पत्तियां

स्वास्थ्य : विटामिन ए, विटामिन सी और एंटीऑक्‍सीडेंट्स से युक्‍त अमरूद त्‍वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। अमरूद के अलावा इसकी पत्तियां भी त्‍वचा के लिए फायदेमंद होती हैं। इसकी पत्तियों में एंटीऑक्‍सीडेंट्स और एंटी इंफ्लामेट्री यौगिक और लाभकारी टैनिन होते हैं। इसके औषधीय गुण कई तरह की बीमारियों और खासतौर पर त्‍वचा रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। ब्‍लैकहैड्स का इलाज अमरूद की पत्तियों से ब्‍लैकहैड्स का इलाज भी किया जा सकता है। इसके लिए आपको अमरूद की कुछ पत्तियां लेकर उसमें पानी डालकर ब्‍लैंड करना है। अब इसमें गुलाबजल की कुछ बूंदें डालें और पेस्‍ट तैयार कर लें। इसे ब्‍लैकहैड्स के ऊपर स्‍क्रब करें। बेहतर परिणाम के लिए सप्‍ताह में दो बार इस पेस्‍ट को लगाएं। आपको ब्‍लैकहैड्स कम होते नज़र आएंगे। एक्‍ने और गहरे धब्‍बों के लिए किसी प्राकृतिक चीज़ से गहरे धब्‍बों और एक्‍ने का इलाज करने से बेहतर और क्‍या हो सकता है। सैलून या पार्लर में जाकर महंगे ट्रीटमेंट लेने से तो अच्‍छा है कि आप घरेलू नुस्‍खे आज़माएं। तो चलिए जानते हैं कि अमरूद की पत्तियों से आप किस तरह एक्‍ने और गहरे धब्‍बों से छुटकारा पा सकते हैं: अमरूद की कुछ पत्तियां लें और उन्‍हें मैशर या ग्राइंडर की मदद से मैश कर लें। इसे एक्‍ने और गहरे दाग वाली जगह पर लगाएं। 10-12 मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें और उसे तौलिए से सुखा लें। अमरूद की पत्तियां एक्‍ने पैदा करने वाले बैक्‍टीरिया को मार देती हैं और इसलिए इस पेस्‍ट को सप्‍ताह में दो बार लगाने के बाद आपको खुद फर्क नज़र आने लगेगा। एंटी एजिंग फायदे अमरूद की पत्तियों में एंटीऑक्‍सीडेंट्स होते हैं जो त्‍वचा की उम्र बढ़ाने वाले फ्री रेडिकल्‍स को खत्‍म कर देते हैं। ये त्‍वचा को साफ करते हैं और रंगत को निखारते हैं और एजिंग के निशान भी साफ कर देते हैं। 
अमरूद की कुछ पत्तियां लें और उसे ब्‍लेंड कर लें और इसमें 2 चम्‍मच योगर्ट डालकर मिक्‍स करें। इसका पेस्‍ट तैयार कर लें। इसे चेहरे पर 15-17 मिनट तक लगाएं। अब ठंडे पानी से मुंह धोकर सुखा लें। अब किसी क्रीम को चेहरे पर लगाएं। ऑयली स्किन के लिए चमत्‍कार एंटीऑक्‍सीडेंट क्‍वालिटी की वजह से ये ऑयली स्किन को ठीक करने में भी मदद करता है। ऑयली स्किन के लिए अमरूद की पत्तियों से इस तरह फेस पैक तैयार करें। अमरूद की कुछ पत्तियां लें और उसे ब्‍लेंड कर लें। इसमें गुलाबजल और नींबू के रस की कुछ बूंदें डालें और मिक्‍स करें। इसका गाढ़ा पेस्‍ट तैयार कर लें और चेहरे पर लगाएं। 20-30 मिनट तक इसे लगा रहने दें। सूखने के बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें और हल्‍के हाथों से सुखाएं। रोज़ ये फेस पैक लगाने से आपकी त्‍वचा अपने आप ही ऑयल फ्री हो जाएगी। दाग होंगे कम अमरूद की पत्तियां त्‍वचा के दाग-धब्‍बों को घटाकर उसे चमकदार बनाने का भी काम करती हैं। इसमें मौजूद क्‍लोरोफिल त्‍वचा को सांस लेने में मदद करता है और त्‍वचा तरोताज़ा महसूस करती है। पके हुए अमरूद की कुछ पत्तियां लें और उसे पानी के साथ ग्राइंड कर लें। इसमें कुछ बूंदें गुलाब जल की भी डालें। इसे त्‍वचा पर लगाएं और 15-20 मिनट तक लगा रहने दें। ठंडे पानी से चेहरा धो लें और तौलिए से चेहरे को सुखाएं। हफ्ते में दो या तीन बार इस पैक को लगाएं। 

आसानी से दूर करें ब्‍लैकहेड्स

जीवनशैली : तेल और मृत कोशिकाओं का मिश्रण होते हैं ब्लैकहेड्स, जो कि रोम छिद्रों में जम जाते हैं। हवा के संपर्क में आने पर ये ऑक्‍सीडाइज़ और काले पड़ने लगते हैं। ये अधिकतर चेहरे, कमर, गर्दन, छाती, हाथों और कंधों पर दिखते हैं। स्किन एक्‍सपर्ट की मदद से जानते है क‍ि ब्‍लैकहैड्स से किस तरह छुटकारा पाया जा सकता है। ब्‍लैकहैड्स और व्‍हाइटहैड्स को हटाने में सैलिसाइलिक एसिड असरकारी होता है क्‍योंकि से अतिरिक्‍त तेल और त्‍वचा की मृत कोशिकाओं को तोड़ता है। लेकिन अधिकतर लोगों को ये एसिड सूट नहीं करता है और वो रोज़ इसका इस्‍तेमाल नहीं कर पाते हैं।
रोमछिद्रों को बंद करने वाली त्‍वचा की मृत कोशिकाओं को साफ करने के लिए डॉक्‍टर से कोई असरकारी नाइट क्रीम और सीरम के बारे में पूछें। त्‍वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए एक्‍सफोलिएटिंग फायदों के लिए स्किन ब्रश का भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। आपको हफ्ते में केवल एक बार इसका इस्‍तेमाल करना है ताकि त्‍वचा को कोई नुकसान न पहुंचे। क्‍ले और चारकोल मास्‍क भी ब्‍लैकहैड्स को निकालने में असरकारी होता है। क्‍ले मास्‍क मिनरल से प्रचुर होता है और ब्‍लैकहैड्स से संबंधित तीन समस्‍याओं जैसे कि तेल बनने, त्‍वचा की मृत कोशिकाओं और बंद रोमछिद्रों की दिककत को दूर करता है। इसे पानी में मिलाकर लगाने से ये ब्‍लैकहैड्स को बाहर खींच लेता है और रोमछिद्रों को साफ करता है। आपकी स्किन ड्राई हो या ऑयली, उस पर मॉइश्‍चराइजर जरूर लगाएं ताकि त्‍वचा हमेशा स्‍वस्‍थ रहे और सिबेशियस ग्रंथियां अधिक सक्रिय ना हों। कीमोडोजेनिक मेकअप का इस्‍तेमाल न करें। इससे आपकी त्‍वचा को नुकसान पहुंच सकता है और बैक्‍टीरियन संक्रमण का भी खतरा रहता है।
आसानी से दूर करें ब्‍लैकहेड्स

कई बीमारियों से दूर रखती है धनिया की पत्ती

जीवनशैली : हरी धनिया की पत्ती स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद होता है। इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल आदि पाया जाता है। इसके अलावा हरे धनिया के पत्‍ती में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थियामीन, पोटोशियम और विटामिन सी भी पाया जाता हैं। हरा धनिया पेट की समस्‍याओं के लिए बहुत फायदेमंद है, यह पाचनशक्ति बढ़ाता है। धनिया का प्रयोग शाकाहार और मांसाहार दोनों में किया जाता है। हरी धनिया की पत्ती का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। धनिया की पत्तियां मैग्नीशियम का बहुत अच्छा स्रोत होती हैं। इसके अलावा इनमें विटामिन बी और फॉलिक एसिड भी अच्छी मात्रा में होता है। ये दोनों ही तत्व शरीर में ग्लूकोज को बर्न करने में मदद करते हैं, जिससे आप जो भी कैलोरीज लेते हैं, शरीर उनका इस्तेमाल कर लेता है और वे अतिरिक्त फैट के रूप में आपके शरीर में जमा नहीं होते हैं। हरा धनिया पेट की समस्याओं का निवारण करता है, यह पाचनशक्ति बढ़ाता है। धनिये के ताजे पत्तों को छाछ में मिलाकर पीने से बदहजमी, मतली, पेचिश और कोलाइटिस में आराम मिलता है। हरा धनिया, हरी मिर्च, कसा हुआ नारियल और अदरक की चटनी बनाकर खाने से अपच के कारण पेट में होने वाले दर्द से आराम मिलता है। पेट में दर्द होने आधा गिलास पानी में दो चम्मच धनिया डालकर पीने से पेट दर्द से राहत मिलती है। हरे धनिये में ऐसे तत्व है जो शरीर से कोलेस्ट्रॉल को कम कर देता है या उसे कंट्रोल में रखता है। अध्ययन के अनुसार, धनिया के बीजों में कोलेस्ट्रॉल को मेंटेन किए रखने के तत्व होते है। अगर कोई व्यक्ति हाई कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्त है तो उसे धनिया के बीजों को उबालकर उसका पानी पीना चाहिए। धनिये को डायबिटीज का नाश करने वाला भी कहा जाता है। डायबिटीज से पीड़ित व्‍यक्तियों के लिए तो यह वरदान है। इसके नियमित सेवन से ब्लड में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। धनिया पाउडर, बॉडी से शुगर के स्तर को कम कर देता है और इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाता है। धनिया खाने से किडनी स्वस्थ रहती है। शोध बताते हैं कि नियमित रूप से धनिये का उपयोग करने वालों में किडनी की समस्या ना के बराबर होती है। इसलिए किडनी की समस्याओं से पीड़ित व्‍यक्तियों को धनिये का उपयोग जरूर करना चाहिए। धनिये में आयरन भरपूर मात्रा में होता है। इसके नियमित सेवन से एनीमिया को दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही एंटी ऑक्‍सीडेंट, मिनरल, विटामिन ए और सी से भरपूर होने के कारण धनिया कैंसर से भी बचाव करता है। रोजाना हरे धनिये का प्रयोग अपने खाने में करने से आंखों की रोशनी बढऩे लगती है। क्योंकि हरे धनिये में विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है जो आंखों के लिए बहुत आवश्यक होता है। यदि आपके चेहरे पर मुहांसे है तो धनिया से आपके राहत मिल सकती है। इसके लिए धनिये की पत्तियों को पीसकर लें। इस पेस्ट में चुटकी भर हल्दी पाउडर मिलाकर चेहरे पर दिन में कम से कम 2 बार लगाएं। इससे मुहांसो की समस्या दूर होती है और यह ब्लैकहेड्स को भी हटाता है। धनिया की पत्तियां, झुर्रियों को दूर भगाती है। इनमें एंटी-ऑक्सीडेंट काफी मात्रा में होता है जिसके चलते इन्हें लगाने से त्वचा में खिचांव आ जाता है। इसे लगाने से चेहरे पर कोई दाग भी नहीं पड़ता है। एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण धनिया त्‍वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। इससे मुंहासों की समस्‍या के साथ-साथ ब्‍लैकहेड्स की समस्‍या भी दूर होती है। इसके लिए धनिये की पत्तियों के रस में हल्दी का चूर्ण मिलाकर चेहरे पर लगाएं और कुछ देर चेहरे पर लगे रहने के बाद धो लें। धनिया हाथ पैर की जलन, एसिडिटी, आंखों की जलन, यूरिन की जलन और सिरदर्द को दूर करने में लाभकारी होता है। इसके लिए सौंफ, मिश्री व धनिया के बीजों को समान मात्रा मिलाकर चूर्ण बना कर एक चम्‍मच प्रतिदिन भोजन के बाद लेने से फायदा होता है।

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

...भरे रहेंगे धन के भंडार

अध्यात्म : घर में होने वाली छोटी-छोटी बातें बनती हैं धन के नुकसान का कारण। देखें कहीं आपके घर में तो नहीं हो रही ये गलत बातें। घर में धन के भंडार भरे रहें और संचय भी हो इसके लिए अपनी तिजोरी अथवा धन रखने वाले स्थान का मुंह उत्तर दिशा की ओर रखें। घर के नल अथवा टंकी में से पानी टपकता रहता हो तो उसे तुरंत ठीक करवा लेना चाहिए अन्यथा पानी के साथ-साथ घर का पैसा भी बहता जाता है। खचोंü का बोझ इस कदर बढ़ जाता है की कुछ भी संचय नहीं हो पाता। 
घर में जितने भी बेडरूम हैं उनके दरवाजे के सामने जो दीवार हो उसके बाएं कोने में धातु की कोई भी शोपीस लटकाना शुभ होता है क्योंकि इस स्थान पर मुकद्दर और माल-असबाब का अधिकार होता है। इस दिशा का कटा होना, दीवार में दरारें या उख़डा पेंट आदि धन हानि का कारण बनते हैं। घर में रद्दी अथवा कू़डा-कब़ाड जमा करके नहीं रखना चाहिए क्योंकि ये चीजें घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। जिससे धन के रास्ते में आने वाली बाधाओं को बढावा मिलता है। घर की छत और सीढि़यों के नीचे तो कब़ाड कभी भी जमा करके नहीं रखना चाहिए।

लक्ष्मी माता के आठ रूप

अध्यात्म : देवतों से ज्यादा शक्तिशाली माता रानी को बताया गया है। हर शख्स अपने जीवन में धन, विद्या, वैभव और शक्ति के लिए माता रानी की आराधना करता है। आज आपको एक ऎसे मंदिर के बारें में बताने जा रहे है। चेन्नई के अडयार समुद्र तट पर अष्टलक्ष्मी का सुंदर मंदिर स्थित है। अष्टलक्ष्मी मंदिर लक्ष्मी माता के आठ रूपों को समर्पित है। देवी लक्ष्मी के ये विविध रूप हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अष्टलक्ष्मी हमें धन, विद्या, वैभव, शक्ति और सुख प्रदान करती हैं। इस मंदिर में लक्ष्मी की आठ अलग-अलग मूर्तियां अलग-अलग तलों पर स्थापित की गई हैं। यहां आदि लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, विजया लक्ष्मी, संतना लक्ष्मी और धन लक्ष्मी के दर्शन होते हैं। सभी देवियों के मंदिर घडी की सूई की दिशा में आगे बढते हुए दिखाई देते हैं। सबसे अंत में नवम मंदिर है, जो भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का है। इस मंदिर में विष्णु की तुलना में लक्ष्मी को प्राथमिकता दी गई है। इस मंदिर का निर्माण 1974 में आरंभ किया गया। मुकुर श्रीनिवास वरदचेरियार की अगुवाई में बनी समिति ने इस मंदिर का निर्माण कराया। 5 अप्रैल 1976 से इस मंदिर में विधिवत पूजा आरंभ हुई। मंदिर का डिजाइन ओम के आकार का है। नवरात्रि और गोकुलअष्टमी मंदिर के प्रमुख त्योहार हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कमल का पुष्प जरूर चढ़ाते हैं। हर लक्ष्मी के लिए लोग अलग-अलग कमल के फूल लेकर जाते हैं। मंदिर के ऊपरी हिस्से से समुद्र का सुंदर नजारा दिखाई देता है।
वहीं समुद्र के तट से मंदिर भी काफी सुंदर नजर आता है। मंदिर का निर्माण तीन मंजिलों में हुआ है। मंदिर के चारों तरफ विशाल आंगन है। इसके परिसर में पूजा सामग्री की दुकान भी है। मंदिर में पूजा का समय सुबह 6.30 बजे से आरंभ होता है। दोपहर 12 बजे मंदिर बंद हो जाता है। फिर शाम को 4 बजे खुलता है और रात के 9 बजे बंद हो जाता है। 

तन और मन की शांति के लिए जरूरी है सकारात्मक ऊर्जा

जीवनशैली : अच्छी सेहत और प्रसन्न तन-मन के लिए कुछ उपयोगी टिप्स दैनिक व्यवहार में लाकर आप एक सुंदर एवं स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। सूर्योदय से पूर्व उठने की आदत डालें, इससे सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है जो तन, मन और मस्तिष्क को शांत करती है। प्रात: काल आसपास के खुले स्थान, पार्क या भवन की छत पर जाकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके थोड़ा व्यायाम करें और लंबी सांस लें। इससे प्रकृति में सुबह के समय व्याप्त सकारात्मक ऊर्जा यानी आक्सीजन का भरपूर उपयोग करके आप शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन करते समय आपका मुख सदा पूर्व या उत्तर में रहे। कभी भी पलंग पर बैठकर, खड़े होकर या आड़े-तिरछे बैठकर भोजन करें। भोजन या तो भूमि पर आसन बिछाकर करें या फिर डायनिंग टेबल का प्रयोग करें। विधिवत भोजन करने से शरीर चुस्त दुरूस्त रहता है। खाना खाते वक्त टेलीविजन नहीं देखें, इससे उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से सभी ज्ञानेंद्रियों पर विपरीत असर पड़़ता है। इससे पेट की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अत: भोजन करते समय टेलीविजन देखने की बजाए पारिवारिक दिनचर्या पर गपशप करें।
 दवाइयों को डायनिंग टेबल पर नहीं रखें, ये नकारात्मक ऊर्जा की प्रतीक होती है। ऐसा करके हम दवाइयों को भोजन का हिस्सा बनाने का निमंत्रण देते हैं, ऐसा नहीं करें। यदि घर में बच्चों या वृद्धों के लिए कुछ टॉनिक आदि का प्रयोग कर रहे हों, तो ऐसे टॉनिक की शीशियां व डिब्बे घर की पूर्व दिशा में बनी आलमारियों में रखें और किसी बीमारी से संबंधित दवाइयों को दक्षिण या पश्चिम में रखें। भोजन पूर्व की तरफ मुंह करके ही बनाएं। यह सेहत के लिए उत्तम और सुखदायी होता है। रसोईघर आग्नेय कोण में ही बनाएं। रसोईघर की व्यवस्था उत्तर-पूर्व में न करें। यह धन और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। ज्वलनशील पदार्थों को भी दक्षिण-पूर्व में रखें। रसोईघर की दीवारों का रंग हल्का पीला, नारंगी या हल्का लाल रखें। जिससे भोजन सुप्पाच्य होकर भूख बढ़ाने में सहायक साबित होगा। जब एक साथ मिलकर सभी खाना खा रहे हों, तो घर के मुखिया का मुंह पूर्व में तथा अन्य सदस्यों का मुंह उत्तर या पश्चिम में होना चाहिए। दक्षिणामुख कभी नहीं बैठें।

देखने और घूमने लायक है विश्व प्रसिद्ध पिंजौर गार्डन

चंडीगढ़ : पंचकूला से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर शिमला मार्ग पर शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसा खूबसूरत विश्व प्रसिद्ध पिंजौर गार्डन देखने और घूमने लायक है। करीब डेढ़ करोड़ वर्ष पहले के लगभग मानव की उपस्थिति पिंजौर क्षेत्र में मानी गई है। पिंजौर स्थित बाग जिसे यादवेन्द्रा गार्डन भी कहते हैं, की बाहरी दीवारें पुराने किले सी लगती हैं, लेकिन बाग में पहुंचते ही दृश्य बदल जाता है। हरियाली की गोद में बसा हसीन ख्वाब। ऊंचाई से इठलाकर गिरकर, फिर फव्वारों के साथ नाचता और ठुमककर बहता पानी। पड़ोसन हरी मखमली घास पर बिखरी बूंदों को मोतियों सी दमकाती धूप। क्यारियों में यहां बनाया शीश महल राजस्थानी मुगल वास्तु शैली का उत्कृष्ट नमूना है। रंगमहल से सामने फैला बाग़ आत्मसात होता है। कैमरा अपना रोल खूब निभाता है। क्यारियों में पौधे, खुश्बू बिखेरते दर्जनों किस्म के रंग बिरंगे फूल और फुदकती नाचती तितलियां। बॉटल पाम व अन्य वृक्ष तन मन को सौम्य बना देते हैं। बहते पानी के साथ सुकून देता संगीत भी प्रवाहित हो रहा होता है। जल महल कैफे का खाना चाहे स्वाद न लगे मगर सफेद रंग में पुते क्लासिक आयरन फर्नीचर पर बैठ कर लुत्फ आ जाता है। सात तलों में बना यह बाग वास्तुकला का अनूठा नमूना है। रात जवां होने लगती है तो रोशनियों में नहा उठा यह बाग अलग ही छटा बिखेर देता है। वस्तुतः यहां उग आए निर्मल आनंद के पहलू में दिल खो जाता है। आंखों को सुख पहुंचाते बहते पानी में खिल उठा सतरंगी प्रकाश यहां उत्सव के माहौल की रचना कर देता है। बाग़ के अंतिम भाग में ओपन एअर थिएटर बनाया गया है जहां प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम वक़्त को और मनोरंजक व यादगार बना देते हैं। 

शारीरिक सुंदरता के लिए प्राकृतिक उपहार है एलोवेरा

जीवनशैली : शारीरिक सुंदरता के लिए लोग तरह—तरह के उपाय करते हैं। लेकिन शरीर सबसे सुंदर और सुडौल कसरत से बनती है। फिलहाल शरीर के मृत त्वचा को अगर कोई जीवनदान दे सकता है तो वह है एलोविरा। एलोवेरा में विटामिन ए, सी और ई भरपूर मात्रा में होता है। ये सभी हेल्दी सेल ग्रोथ को प्रोमोट करते हैं और बालों को चमकदार बनाते हैं। इसमें मौजूद विटामिन बी 12 और फॉलिक एसिड बालों को गिरना से रोकता है। एलोवेरा आपके बालों और त्वचा की खूबसूरती निखारने का सस्ता और बेहतरीन तरीका है। स्किन को नेचुरली मॉइश्चराइज़ करने के साथ ही यह बालों को सिल्की और शाइनी बनाता है। इसके अलावा एलोवेरा के और क्या फायदे हैं चलिए आपको बताते हैं। एलोवीरा लगाने से त्वचा में निखार आता है। ताजे एलोवेरा जेल को चेहरे पर लगाने से चेहरे से धूल-मिट्टी, डेड स्किन और गंदगी को साफ होती है और स्किन ग्लो करती है। इसमें एंटी एजिंग गुण और एंटीआक्सीडेंट भी होता है जो चेहरे से झुर्रियों को हटाने में मदद करता है। 
एलोवेरा जेल रोज़ाना लगाने से आपकी त्वचा जवान और खूबसूरत बनी रहेगी। सनबर्न होने पर एलोवेरी जेल लगाना बहुत फायदेमंद होता है। चेहरे को पिंपल दाग-धब्बों से बचाना चाहते हैं तो रोज़ाना एलोवेरा लगाएं। एलोवेरा जेल मेकअप रिमूवर का भी काम करता है। मेकअप हटाने के लिए एलोवेरा जेल का इस्तेमाल बहुत अच्छा होता है। इससे स्किन को किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं होता। स्ट्रेच मार्क्स हटाने में भी एलोवेरा जेल मदद करता है। इसके लिए एलोवेरा जेल में गुलाब जल मिलाकर लगाएं। फटी एड़ियों पर एलोवेरा जेल लगाने से वह मुलायम और खूबसूरत बनती है। बालों में यदि खुजली होती है तो एलोवेरा लगाने से समस्या से राहत मिलती है, साथ ही डैंड्रफ का भी सफाया होता है। एलोवेरा लगाने से ऑयली स्कैल्प की समस्या से छुटकारा मिलता है, क्योंकि इसमें ऐसे गुण होते हैं जो बालों से मौजूद तेल की अतिरिक्त मात्रा को नियंत्रित करता है। बाल यदि बहुत ज़्यादा झड़ते हैं, तो एलोवेरा लगाएं।

सोमवार, 29 जुलाई 2019

हरियाली तीज पर इस तरह से करें पूजन

आस्था : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया श्रावणी तीज के नाम से प्रचलित है। भारत के उत्तरी क्षेत्र में तीज के त्यैहार की विशेष धूम रहती है। तीज का त्यौहार मुख्यतः स्त्रियों का त्यौहार है। इस दिन महिलायें प्रफुल्लित मन से गीत-गाती, झूला झूलती और नाचती है। ऐसी मान्यता है कि तीज के दिन माॅ भगवती का सौ वर्षो की तपस्या व साधना के बाद भगवान शिव से मिलन हुआ था। इस बार हरियाली तीज 3 अगस्त दिन शनिवार को पड़ रही है। इस दिन स्त्रियां निर्जल रहकर व्रत रखती है। अपने घर को साफ व स्वच्छ करके तोरण से घर को सजायें उसके बाद एक पवित्र चैकी पर शुद्ध मिटटी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्ध-सिद्ध एंव गणेश पार्वती की प्रतिमा बनायें। देवताओं का आवाहन कर विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। इस व्रत का पूजन रात्रि भर चलता है। महिलायें रात्रि जागरण करके कथा-कीर्तन व पूजन करती है। रात्रि के प्रत्येक पहर में भगवान शिव व पार्वती पर बिल्वपत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते व केवड़ा अपर्ण करते हुये शिव स्त्रोत व आरती का पाठ करके आरधना की जाती है। जिन कन्याओं के विवाह में बाधा आ रही है, वे तीज के रात्रि में माॅ पार्वती के निम्न मन्त्र ''ऊॅ उमायें नमः'' का जाप करें। यदि किसी महिला का पति उससे रूठा रहता और कहना नहीं मानता है, तो विधि पूर्वक तीज का व्रत रखकर रात्रि जागरण करे तथा निम्न मन्त्र से '' ऊॅ शान्तिरूपिण्यै नमः'' का जाप करें। यदि कोई लड़की प्रेम विवाह करना चाहती है किन्तु उसमें अड़चने आ रही है, तो तीज के दिन निर्जला व्रत रखकर माॅ पार्वती का विधिपूर्वक पूजन करें तथा निम्न मन्त्र ''ऊॅ पार्वत्यै नमः'' का रात्रि जागरण के दौरान जाप करें। निम्न मन्त्र का जाप करें यदि किसी महिला के सन्तान उत्पन्न होने में संकट आ रहा है, तो मां पार्वती का व्रत रखकर पूजन करें और रात्रि जागरण के दौरान निम्न मन्त्र '' ऊॅ जगत्यप्रतिष्ठायै नमः'' का जाप करें। जिस परिवार में कलह व अशान्ति का वातावरण बना रहता है एंव स्त्रियों को सताया जाता है। उस घर की महिलायें मां तीज के दिन मां पार्वती का व्रत रखकर सच्ची लग्न से पूजन करें तथा रात्रि जागरण के दौरान निम्न मन्त्र ''ऊॅ जगद्धात्रयै नमः'' का जाप करें।

आखिर शरीर में कैसे फैलता है खतरनाक वायरस!

स्वास्थ्य : एचआईवी वायरस शरीर में कैसे फैलता है इस बारे में वैज्ञानिकों ने नई खोज की है। अभी तक इस वायरस से जुड़ी थ्‍योरी को समझने के ल‍िए टेस्ट ट्यूब की सहायता से स्टडी की जाती थी, लेकिन पहली बार इसे थ्री-डायमेंशनल टिशू-लाइक वातावरण में टेस्ट किया गया। इस तरह का वातावरण मानव शरीर में पाया जाता है, जिससे अब पहली बार यह सामने आ सका है कि आखिर शरीर में सेल्स से कैसे एचआईवी फैलता है। पिछले 30 साल से इस विषय पर की जा रही खोज में स्‍पष्‍ट नहीं हो हुआ था कि शरीर के वातावरण में आखिर एड्स का खतरनाक वायरस एचआईवी फैलता कैसे है। अब तक इसके संबंध में जो भी टेस्ट हुए वह प्लास्टिक ट्यूब्स या फिर प्लेट पर किए गए, जो मानव कोशिकाओं में वायरस की प्रतिक्रिया को नहीं दिखा पाता था। मानव शरीर के वातावरण में वायरस फैलने की वजह का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने इमेज प्रोसेसिंग, थियोरेटिकल, बायोफिजिक्स और मैथेमैटिकल के एक्सपर्ट्स की भी मदद ली। इसके जरिए उन्होंने 3डी वातावरण में सेल्स और वायरस के बर्ताव को स्टडी किया और उसे कंप्यूटर पर बनाया। इससे शरीर के जटिल कोशिका तंत्र में एचआईवी वायरस फैलने के बारे में अहम जानकारियां सामने आईं। मानव शरीर में मौजूद कोशिकाओं का तंत्र वायरस को सेल से सेल में फैलने के लिए मजबूर करता है।

30 जुलाई 2019 को है मंगला गौरी व्रत

आस्था : श्रावण मास के प्रति मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत किया जाता है। यह व्रत माता पार्वती यानी गौरी को समर्पित है। महाराष्ट्रीयन समाज में यह उनका श्रावण आरंभ होने पर किया जाता है लेकिन अन्य प्रांतों में इसे श्रावण मास के प्रथम मंगलवार से किया जाता है।कुंवारी कन्या, जिसके विवाह में बाधा आ रही है, वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए, पुत्र की प्राप्ति, पति/पुत्र की लंबी आयु, व अन्य सौभाग्य सुखों के लिए कुंवारी कन्या या सौभाग्यशाली-सुहागन स्त्री के द्वारा, इस व्रत को किया जाता है। गौरी पूजन नाम से स्पष्ट है, मां गौरा अर्थात् माता पार्वती के लिए यह व्रत किया जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव-पार्वती को श्रावण माह अति प्रिय है। यह व्रत श्रावण माह के मंगलवार को ही किया जाता है। इसलिए इसे मंगला गौरी कहा जाता है।

फिटकिरी से हटायें त्वचा के दाग व धब्बे

जीवनशैली : फिटकरी को पानी में डालने पर वह पानी को साफ करती है, यह तो कई लोग जानते होंगे लेकिन क्या आप फिटकरी के दूसरे इस्तेमाल और गुणों के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो जानिये—
त्वचा के दाग धब्बे हटाने के लिए फिटकरी एक बढ़िया उपाय है। आप चाहें तो नियमित रूप से चेहरे पर फिटकरी से मसाज करें या फिर फिटकरी के पानी से चेहरे को साफ करें। 
त्वचा बेदाग हो जाएगी। अगर आपके दांतों में दर्द है और आपको उससे निजात नहीं मिल रहा, तो फिटकरी का पाउडर संबंधित स्थान पर लगाएं। ऐसा करने पर आपको दांत दर्द से निजात मिल जाएगा। शरीर पर जमी गंदगी और कीटाणुओं को समाप्त करने के लिए फिटकरी के पानी से नहाना बहुत अच्छा उपाय है। ऐसा करना आपके शरीर से पसीने की बदबू को भी कम करता है।

हरियाली तीज पर सजना-संवरना है तो पहनिये 'लहरिया'

जीवनशैली : सावन का महीना चल ही रहा है, जल्द हरियाली तीज आने वाली है। इस बार फिर फेस्टिव सीजन में लहरिया पैटर्न ट्रेंड में है। बंधेज लहरिया पैटर्न राजस्थान की पहली पसंद है। इस लहरिये में महिलाओं की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। ज्यादातर महिलाएं इसमें लाल, पीले रंग की साड़ी खरीदती है। वैसे तो कई बार इसमें और भी कलर के मेल देखने को मिलते हैं। वैसे तो इन दिनों लहरिया के साथ काफी एक्सपेरिमेंट होने लगे हैं। लेकिन चाहे साड़ी हो, सूट हो या दुपट्टा गोल्‍डन वर्क के साथ लहरिया हमेशा ही खूबसूरत लगता है। पचरंगी लहरिया पैटर्न पांच रंगों से मिलकर बनाया जाता है। आजकल इसमें पांच रंगो को कुंदन और मेंकारी से सजाया जाता है। बारीक लहरिया में जॉजर्ट से निर्मित हल्‍के और महीन कपड़े पर यह लहरिया बारीक-बारीक लाइनों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है। यह पैटर्न हर लड़की व महिला पर अच्छा लगता है। गोटा पट्टी और लहरिया : लहरिया साडियों मे गोटा पत्ती वर्क हमेशा से ही महिलाओं की खास पसंद रहा है। आप इस तीज पर लहरिया के साथ गोटा पत्ती वर्क वाली साड़ी भी ट्राय कर सकती हैं। मोथड़ा वर्क और लहरिया : बदलते ट्रेंड्स के साथ लहरिया सिर्फ स्ट्राइप्स व लाइनों वाला पैटर्न ही नहीं रह गया हैं। अब 'मोथरा' जैसी नई तकनीक से लहरिया में चेकर्ड पैटर्न भी बनाए जा रहे है।

शनिवार, 27 जुलाई 2019

कोमा से बाहर आया तो बोलने लगा चीनी भाषा


अजब—गजब : 2013 में हादसे के बाद ऑस्ट्रेलिया में एक व्यक्ति कोमा में चला गया जब वह कोमा से बाहर आया तो अंग्रेजी की जगह चीनी भाषा मंडारिन बोलने लगा। इस बात से उस व्यक्ति के परिजन और विशेषज्ञ भी हैरत में हैं। मेलबर्न निवासी बेन मकमोहान वर्ष 2013 में कार दुर्घटना में घायल हो गए थे। दुर्घटना के बाद वह कोमा में चले गए। बेन एक सप्ताह से भी ज्यादा कोमा में रहा। जब वह कोमा से लौटा तो अंग्रेजी की जगह मंडारिन भाषा बोलने लगा। बेन को मंडारिन में बात करते देख उसके परिजन हैरान रह गए। बेन पहले डेटिंग से जुडे एक टीवी कार्यक्रम की शूटिंग के सिलसिले में चीन गए थे। इस कार्यक्रम केे लिए बेन ने मंडारिन भाषा सीखी थी। इस कार्यक्रम के लिए ऑस्ट्रेलिया से मकमहोन सहित 10 पुरूष और 16 महिलाएं चीन गई थीं। 
कार दुर्घटना के बाद कोमा से बाहर आने पर कुछ समय के लिए उनकी अंग्रेजी बोलने की क्षमता खत्म हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि दुर्घटना के कारण बेन के मस्तिष्क की संरचना की बनावट बदल गई थी। इसी कारण से कुछ दिन के लिए बेन की अंग्रेजी बोलने की क्षमता खत्म हो गई थी।

वायरल फीवर से बचना है तो जरूर करें पांच उपाय

स्वास्थ्य : बरसात के मौसम में वायरल फीवर का डर ज्यादा रहता है। यदि बीमारी का लक्षण दिखायी दे रहा है तो निम्न नुस्खे अवश्य अपनानी चाहिए। नींबू का रस और शहद भी वायरल फीवर के असर को कम करते हैं। आप शहद और नींबू का रस का सेवन भी कर सकते हैं। सौंठ यानी कि अदरक का पाउडर और अदरक में होते है फीवर को ठीक करने वाले गुण। इसलिए एक चम्मच काली मिर्च के चूर्ण में एक छोटी चम्मच हल्दी, एक चम्मच सौंठ का चूर्ण और थोड़ी सी चीनी मिलाएं। अब इसे एक कप पानी में डालकर गर्म करें, फिर ठंडा करके पिएं। इससे वायरल फीवर खत्म होने में मदद मिलेगी। तुलसी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिससे शरीर के अंदर के वायरस खत्म होते हैं। इसलिए एक चम्मच लौंग के चूर्ण में 10-15 तुलसी के ताजे पत्तों को मिलाएं। अब इसे 1 लीटर पानी में डालकर इतना उबालें जब तक यह सूखकर आधा न हो जाए। अब इसे छानें और ठंडा करके हर 1 घंटे में पिएं। ऐसा करने से वायरल से जल्द ही आराम मिलेगा। धनिये में कई औषधीय गुण होते हैं। इसकी चाय बनाकर पीने से भी वायरल में जल्द आराम मिलता है। एक कप मेथी के दानों को रातभर भिगों लें और सुबह इसे छानकर हर एक घंटे में पिएं।

मेहंदी के और भी है फायदे

जीवनशैली : महिलाओं की सुंदरता में मेंहदी का अहम रोल तो है ही। इसके अलावा और भी कई फायदे हैं मेंहदी के। खून साफ करने के लिए मेहंदी को औषधि के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए रात को साफ पानी में मेहंदी भिगोकर रखें और सुबह इसे छानकर पिएं। घुटनों या जोड़ों में दर्द की समस्या होने पर मेहंदी और अरंडी के पत्तों को बराबर मात्रा में पीस लें और इस मिश्रण को हल्का सा गर्म करके घुटनों पर लेप करें। सिरदर्द या माइग्रेन जैसी परेशानियों के लिए भी मेहंदी एक बेहतरीन विकल्प है। ठंडक भरी मेहंदी को पीसकर सिर पर लगाने से काफी फायदा होगा। 
शरीर के किसी स्थान पर जल जाने पर मेहंदी की छाल या पत्ते लेकर पीस लीजिए और लेप तैयार किजिए। इस लेप को जले हुए स्थान पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होगा। तासीर में ठंडी होने के कारण मेहंदी का उपयोग शरीर में बढ़ी हुई गर्मी को कम करने में किया जाता है। हाथों और पैर के तलवों में मेहंदी लगाने से शरीर की गर्मी कम होती है। मेहंदी के ताजे पत्तों को तोड़कर साफ पानी में भिगो दें और रात भर रखने के बाद इसे सुबह छानकर पिएं। यह प्रयोग भी शरीर की गर्मी को दूर करने में मददगार है। इसके अलावा मेहंदी में दही, आंवला पाउडर, मेथी पाउडर मिलाकर घोल तैयार करें और इसे बालों में लगाएं। 1 से 2 घंटे बालों में रखने के बाद बाल धो लें। ऐसा करने से बाल काले, घने और चमकदार होते हैं।

पीलिया के लिए जरूरी सावधानियां

स्वास्थ्य : खून की कमी के साथ कमजोरी और शरीर का पीला पड़ जाना पीलिया रोग का प्रमुख लक्षण है। इससे बचने के लिए ये सावधानियों को याद रखना जरूरी है-
— इंजेक्शन लगाते समय सिरिन्ज व नीडिल को 20 मिनट तक उबाल लें या डिस्पोजेबल सिरिंज का उपयोग करें।
— खाना बनाने, परोसने, खाने के पहले, बाद में और शौच जाने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
— भोजन अलमारी में या ढक्कन से ढंककर रखना चाहिए, ताकि मक्खियों व धूल से बचाया जा सके।
— ताजा व शुद्ध गर्म भोजन करें। दूध व पानी उबालकर काम में लें।
— पीने के लिए पानी नल, हैंडपंप या आदर्श कुओं से ही लें। नगरीय निकायों द्वारा शुद्ध किया पानी भी ठीक है।
— गंदे, सड़े, गले व कटे हुए फल नहीं खाएं। धूल में पड़ी या खुले हुए बाजार के पदार्थ न खाएं।
— रोगी बच्चों की नियमित डॉक्टर से जांच कराएं। जब तक वे पूरी तरह स्वस्थ न हो जाएं उन्हें स्कूल या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर न जाने दें।

ब्रह्मांड के सूक्ष्म रहस्य

ज्योतिष : भारत के आदि कालीन और वैदिक कालीन ग्रंथों में भी ब्रह्मांड की गुप्त बातों व रहस्यों के प्रति अनभिज्ञता प्रकट की गई है। मानव जीवन की आरंभिक सभ्यताओं का आज के मनुष्य के पास जो प्रामाणिक प्रबोध और तथ्य हैं, उनके आधार पर कहा जा सकता है कि मनुष्य ने हर बीतती सदी के साथ अनगिनत वैज्ञानिक उपलब्धियां अर्जित कीं और वह उसी के अनुरूप अपना दैनिक जीवन जीता रहा। परंतु इतना ज्ञान-विज्ञान प्राप्त करने और इतनी प्रगति कर लेने के बाद भी ब्रह्मांड के परम गुप्त सत्य तक पहुंचना संभव नहीं हो सका। इस युग के वैज्ञानिकों को लगता है कि वे केवल विज्ञान के प्रयोगों के आधार पर ब्रह्मांड के अंतिम सत्य तक पहुंच जाएंगे। वास्तव में ऐसा होना संभव नहीं होगा। पृथ्वी के अतिरिक्त जितने भी ग्रह, उपग्रह, खगोलीय पिंड और सामान्य मनुष्य की कल्पना से परे जाकर खोजे गए ब्रह्मांडीय आवरण हैं, वास्तव में ब्रह्मांड उतने में ही समाहित नहीं होता। वैदिक और आध्यात्मिक साधना के बाद भारतीय ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों व साधकों ने माना है कि ब्रह्मांड के वास्तविक केंद्र किसी भी जीव को पंचतत्वों से युक्त उसके जीवित तन के साथ कभी नहीं दिखाई दे सकते। पृथ्वी को छोड़ ब्रह्मांड के सभी वास्तविक केंद्र और स्थान केवल जीवात्मा को दृश्य-श्रव्य होते हैं। ब्रह्मांड के गुप्त दुर्गम अनुभव जीवात्मा को भी तब हो पाते हैं, जब वह भूलोक में अपनी पूरी जीवितावस्था में अध्यात्म वशीभूत हो सांसारिक कल्याण की भाव तरंगों से संबद्ध रही हो। मृत्यु के बाद मनुष्य अदृश्य ज्योति स्वरूप आत्मांश के रूप में अनंत पथ पर अग्रसर होता है। यह ब्रह्मांड का वही पथ है, जहां तक मनुष्य जीते जी कभी नहीं पहुंच पाता, चाहे कितनी ही वैज्ञानिक प्रगति कर ले। 
आत्मांश के रूप में ब्रह्मांड के इस पथ पर चलने का अवसर सभी जीवात्माओं को नहीं मिलता। इस पथ पर चलने की योग्यता तब मिलती है, जब हम पृथ्वी पर जीव के रूप में व्यतीत समयावधि में सत्कर्मों और परोपकार से जुड़े रहते हैं। सत्कर्मों, परोपकार, करुणामयी भावनाओं पर हितकारी संवेदनाओं और परार्थ में लगे जीव को मृत्यु के बाद ब्रह्मांड के उन अनंत व गुप्त स्थानों पर विचरण करने और अपने सत्कर्मों की योग्यता के आधार पर उनमें फिर से जन्म लेने का अवसर मिलता है, जो स्थान भूलोकी जीव की कल्पना से भी परे होते हैं। यदि भूलोक में जीवन अध्यात्म आधारित कल्याण भावना के साथ व्यतीत होता हुआ आध्यात्मिकता के शीर्ष स्थान को स्पर्श कर लेता है तो ऐसे जीव की आत्मा ब्रह्मांड के अनंत व गुप्त स्थानों के संचालक परमात्मा के परम स्थान में जगह पाती है। उसे जन्म-मरण के दुष्चक्र से मुक्ति मिलती है और वह स्थिर आत्मानुभव के साथ पारलौकिक आनंद प्राप्त करता रहता है। इसलिए सभी मनुष्यों को अपना जीवन पर-कल्याण व परोपकार में लगाकर आध्यात्मिक चिंतन-मनन करना चाहिए।

शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

बारिश में रखें अपनी त्वचा का ख्याल

जीवनशैली : पहली बारिश आते ही सभी लोगों की खुशी उनके चेहरे पर देखने काे मिलती है। लेकिन यह ऐसा मौसम है जो कई परेशानियों को लाता है। इस मौसम का प्रभाव आपकी त्‍वचा पर भी बहुत ज्यादा पड़ता है। इसमें रूखी त्‍वचा, पिंपल्‍स, जलन, खुजली और लाल दाग जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बारिश के मौसम में आखों में भी इंफेक्शन हो सकता है क्योंकि इस मौसम में वायरस और एलर्जी बहुत जल्दी फैलती है। आइए हम आपको बताते है कि इस मौसम में अपनी त्वचा का ख्याल कैसे रखें। इस सीजन में आंखों का भी बहुत ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। अगर आंखों में इनफेक्शन हो जाए तो तुरंत दवाई लेनी चाहिए।
इस सीजन में रोजाना स्नान करना चाहिए। मानसून के मौसम में बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा होती है। रोज स्नान करने से ये दूर हो जाते हैं। बारिश के सीजन में कई जगहों पर पानी भर जाता है, जिसके कारण कई प्रकार की बीमारियां फैल जाती हैं। इनसे बचने के लिए आप अपने हाथ, पैर और चेहरे को समय-समय पर साफ कर लेने चाहिए।

अद्भुत है अमरकंटक के जंगल की चट्टान

आस्था : अमरकंटक के जंगल में, ऊंचे पहाड़ पर एक चट्टान ऐसी है, जिसमें 12 महीने पानी रहता है। चट्टान में एक छेद है, उसमें हाथ डाल कर अंजुली भर जल निकाल सकते हैं। इस आश्चर्यजनक चट्टान को भृगु का कमंडल कहा जाता है। मेरे मित्र अशोक मरावी और मुकेश ने जब मुझे यह बताया गया, तो उस चट्टान को देखने की तीव्र जिज्ञासा मन में जागी। अगली सुबह इस अनोखी चट्टान को देखने जाने का तय किया। माँ नर्मदा मंदिर से लगभग 4 किमी दूर घने जंगल और ऊंचे पहाड़ पर भृगु कमंडल स्थित है। भृगु कमंडल तक पहुँचना कठिन तो नहीं है, लेकिन बाकी स्थानों की अपेक्षा यहाँ पहुँचने में थोड़ा अधिक समय और श्रम तो लगता ही है। कुछ दूरी तक आप मोटरसाइकिल या चारपहिया वाहन से जा सकते हैं, परंतु आगे का रास्ता पैदल ही तय करना होता है। भृगु कमंडल के लिए जाते समय आप एक और नैसर्गिक पर्यटन स्थल धूनी-पानी पर प्रकृति का स्नेह प्राप्त कर सकते हैं। यह स्थान रास्ते में ही पड़ता है। बहरहाल, हम मोटरसाइकिल से भृगु ऋषि की तपस्थली के लिए निकले। रास्ता कच्चा और ऊबड़-खाबड़ था। मोटरसाइकिल पर धचके खाते हुए हम उस स्थान पर पहुँच गए, जहाँ से पैदल आगे जाना था। घने जंगल के बीच स्थित भृगु कमंडल तक पहुँचने के लिए पहले पहाड़ उतर कर धूनी-पानी पहुँचे और फिर वहाँ से आगे जंगल में कीटों और पक्षियों का संगीत सुनते हुए पहाड़ चढ़ते गए। अमरकंटक के जंगलों में पेड़ों पर एक कीट सिकोड़ा पाया जाता है, जो एक विशेष प्रकार से टी-टी जैसी ध्वनि निकालता रहता है। शांत वन में पेड़ों पर झुंड में रहने वाले सिकोड़ा कीट जब टी-टी का सामूहिक उच्चार करते हैं तब विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। इस वर्ष जब भोपाल में भी यह ध्वनि सुनाई दी, तब मेरे मित्र हरेकृष्ण दुबोलिया ने उस पर समाचार बनाया था। उसके अनुसार यह कीड़ा हेमिपटेरा प्रजाति का है, जो पेड़ों पर रह कर उसकी छाल से पानी अवशोषित करता है और सूखी पत्तियों को अपना भोजन बनाता है। सिकोड़ा कीट उष्ण कटिबंधीय (गर्म) क्षेत्रों में पाया जाता है। इनके लिए अनुकूल तापमान 40 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच है। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार जाता है, तो इनकी संख्या तेजी से बढ़ती है, किंतु तापमान जैसे ही 50 डिग्री सेल्सियस के पार जाता है, यह मरने लगते हैं।

आने वाला है तीज, महिलाओं के लिए नया हेयरस्टाइल

जीवनशैली : पवित्र सावन का महीना चल रहा है और तीज का त्यौहार कुछ दिनों में आने वाला है। ऐसे में महिलाएं अपने कपड़ों मेकअप और ज्वेलरी से जुड़ी सभी तैयारियां कई दिनों पहले से ही शुरु कर देती हैं। अगर आपने भी तीज की सारी चीजें ले ली हैं, तो आज हम आपको तीज पर आखिरी लुक देने वाले आपके हेयरस्टाइल के बारे में बता रहे हैं, जो आपके खूबसूरती को बढ़ाने में मदद करेंगे। आपके बाल यदि लम्बे हैं या छोटे फ्रेंच हेयरस्टाइल दोनों ही तरह के बालों में बेहद आकर्षक लगता है। इसे आप साड़ी या हैवी लहंगे के साथ भी टीमअप कर सकती हैं। अगर आप पूजा में सिर पर पल्ला रखेंगी, तो ऐसे में साड़ी के पल्ले या चुन्नी को बालों में पिन अप करें। इससे आपके बालों और पल्ले को लम्बे वक्त तक सेट किया जा सकता है। आज के दौर में मेसी लुक यानि किनारे से बिखरे हुए बालों का हेयरस्टाइल लड़कियों के बीच बेहद पॉपुलर है। ऐसे में आप तीज पर मेसी लो बन हेयरस्टाइल बना सकती हैं। इसे आप अपने लहंगे या गाउन के साथ भी कैरी कर सकती हैं। इस हेयरस्टाइल की खासियत ये है कि इसे आप छोटे बालों में भी बना सकती हैं। तीज पर आप लंहगा या कोई हैवी लुक वाली साड़ी पहन रही हैं और उसके साथ हैवी लुक ज्वेलरी भी पहनने वाली हैं, तो ऐसे में मांग टीका हेयरस्टाइल एक अच्छा ऑप्शन रहेगा। इस हेयरस्टाइल में आपके बाल दो हिस्सों बंट जाएंगे, जिससे आसानी से बीच में मांग टीका लगा सकती हैं। आप तीज में अपने बालों को खुला रखना चाहती हैं, तो ऐसे में आप अपने बालों को नीचे से घुंघराले करवा सकती हैं। इससे आपके बालों का वॉल्यूम बढ़ेगा, और बाल सुंदर लगेगा।

बहुत झूठ बोलते हैं तीन राशियों के लोग

ज्योतिष : शास्त्रों के अनुसार कुल 12 राशियों में से तीन राशियां ऐसी हैं, जिनके जातक सबसे ज्यादा झूठ बोलते हैं। राशियों से किसी भी व्यक्ति के स्वभाव के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुल 12 राशियों में से तीन राशियां ऐसी है जिनके जातक सबसे ज्यादा झूठ बोलते हैं। इतना ही नहीं इन तीन राशि के जातक सिर्फ अपने फायदे के लिए ही झूठ बोलते हैं। कई बार लोग सिर्फ अपने फायदे के लिए झूठ बोलते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरों को खुश करने के लिए झूठ बोलते हैं।
मिथुन राशि : मिथुन राशि वाले लोग सबसे ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं। ये लोग अपनी भावनाएं व्यक्त करने में बहुत माहिर होते हैं। इतना ही नहीं ये दूसरों को अपनी बातों में लाने के लिए कुछ भी बोल जाते हैं। अपनी चंचलता की वजह से ये लोग बहुत झूठ बोलते हैं और लोग इनके झूठ पर आसानी से भरोसा भी कर लेते हैं। ये अपनी बातों पर टिके नहीं रहते और बार-बार अपना मन बदलते हैं।
सिंह राशि : इस राशि वाले लोग अक्सर झूठ का सहारा लेते हैं। इस राशि के जातकों को दोस्ती करना बहुत पसंद होता है। ये जातक बड़े ही नाटकीय अंदाज में लोगों को खुश करके उनसे दोस्ती कर लेते हैं। इन लोगों के स्थाई रिश्ते कम ही होते हैं, क्योंकि ये ज्यादातर रिश्तों की बुनियाद झूठ पर ही रखते हैं।
मीन राशि : इस राशि के लोगों का झूठ बाकी लोगों से अलग होता है। इस राशि के जातक हमेशा झूठ नहीं बोलते, लेकिन जिन लोगों को पसंद करते हैं उन्हें खुश रखने के लिए किसी भी हद तक का झूठ बोल देते हैं। इस राशि के लोगों के लिए दोस्ती और रिश्ते का बहुत महत्व होता है।

मंदिर में पूजापाठ हिंदू करते हैं और देखभाल मुसलमान

ढाका : 90 फीसदी से अधिक आबादी मुस्लिमों की है बांग्लादेश में। यहां मस्जिदों के अलावा कुछ मंदिर भी हैं। इनमें एक प्रमुख मंदिर है दिनाजपुर जिले के कहरोल में 18 वीं सदी का बना कांतोज्यू मंदिर। राधा-कृष्ण के इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें पूजापाठ हिंदू करते हैं, लेकिन इसके रखरखाव की जिम्मेदारी मुस्लिम संभालते हैं। वे रोजाना मंदिर की सफाई करते हैं। साल में दो-तीन बार मंदिर के चारों ओर बनी छोटी-छोटी मूर्तियों की पॉलिश की जाती है। विनय कुमार मोहंतो, जो कि इस एतिहासिक मंदिर का कामकाज देखते हैं, वे कहते हैं कि ये मंदिर अब पूरी दुनिया में प्रसिद्ध होता जा रहा है। केवल भारत से ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जर्मनी, नेपाल, श्रीलंका, जापान, मलेशिया, ब्रिटेन और सिंगापुर आदि देशों से श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं। मंदिर के आसपास मुस्लिम आबादी है। वे भी यहां आते हैं। इस मंदिर को बांग्लादेश सरकार ने अपनी धरोहर घोषित किया है। स्थानीय पुलिस भी यहां तैनात की गई है। खास बात है कि यहां पर कभी कोई ऐसी घटना नहीं हुई, जिससे मंदिर में पूजापाठ करने वाले लोगों को भय महसूस हुआ हो। रोजाना एक हजार से ज्यादा लोग यहां आते हैं। इनमें अधिकांश पर्यटक होते हैं। साल में एक बार मेला लगता है। मंदिर की हर एक टाइल पर महाभारत और रामायण काल की घटनाओं और प्रसंगों का उल्लेख है। कलाकृतियों के जरिए गीता में लिखी बातों को समझाने का प्रयास किया गया है। विनय कुमार मोहंतो बताते हैं, कांतोज्यू मंदिर की एक बड़ी खासियत यह है कि यहां पर राधा-कृष्ण की मूर्तियां स्थायी नहीं हैं। दिन में इन मूर्तियों को दर्शन के लिए बरामदे में रखा जाता है। शाम को ये मूर्तियां वापस अंदर रख दी जाती हैं। शुरू से यही परंपरा चली आ रही है। इसकी वजह ये है कि मंदिर ऊंचाई पर है और यहां एक साथ ज्यादा लोगों के खड़े होने की जगह नहीं है, इसलिए मंदिर के नीचे खड़े होकर राधा-कृष्ण के दर्शन किए जाते हैं। बरामदे में मूर्तियों को रखने के लिए आसन बनाया गया है।

गुरुवार, 25 जुलाई 2019

सफलता का सूत्र बन सकती हैं देवगुरु की नीतियां

ज्योतिष : बृहस्पति ने ऐसी कई बातें बताई हैं, जो हर किसी के लिए बहुत काम की साबित हो सकती हैं। बृहस्पति ने इन ऐसे नीतियों का वर्णन किया है, जो किसी भी मनुष्य को सफलता की राह पर ले जा सकती हैं। देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं। महाभारत के आदिपर्व के अनुसार बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं। ये अपने ज्ञान से देवताओं को उनका यज्ञ भाग या हवि प्राप्त करा देते हैं। असुर एवं दैत्य यज्ञ में विघ्न डालकर देवताओं को क्षीण कर हराने का प्रयास करते रहते हैं। इसी का उपाय देवगुरु बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का प्रयोग कर देवताओं का पोषण एवं रक्षण करने में करते हैं तथा दैत्यों से देवताओं की रक्षा करते हैं।
- देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम।
- बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम।
- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
- ऊं बृं बृहस्पतये नम:। और
- ऊं अंशगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।

सफलता के लिए मेहनत के साथ धैर्य भी

प्रेरक कथा : एक बार अपने शिष्यों के साथ किसी गांव में महात्मा बुद्ध उपदेश देने जा रहे थे। गांव पहुंचने से पहले रास्ते में उन लोगों को जगह-जगह बहुत सारे गड्ढे खुदे हुए दिखाई दिए। महात्मा बुद्ध का एक शिष्य इन गड्ढों को देखकर सोचने लगा कि इनका रहस्य क्या है? उसने अपने गुरु महात्मा बुद्ध से पूछा कि तथागत कृपया मुझे इन गड्ढों का रहस्य बताएं, एक साथ इतने सारे गड्ढे किसने और क्यों खोदे हैं? गौतम बुद्ध ने शिष्य को जवाब दिया कि किसी व्यक्ति ने पानी की तलाश में ने इतने सारे गड्ढे खोदे हैं। अगर वह धैर्यपूर्वक एक ही जगह पर गड्ढा खोदता तो उसे पानी अवश्य मिल जाता, लेकिन वह थोड़ी देर गड्ढा खोदता और पानी न मिलने पर दूसरी जगह गड्ढा खोदना शुरू कर देता, इस कारण उसे कहीं भी पानी नहीं मिला।महात्मा बुद्ध ने शिष्यों को समझाया कि अगर कोई व्यक्ति किसी काम में सफल होना चाहता है तो उसे कड़ी मेहनत करनी होती है, लेकिन कड़ी मेहनत के साथ ही स्वभाव में धैर्य होना भी जरूरी है। कभी-कभी लंबे समय तक मेहनत करने के बाद ही सफलता मिल पाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को धैर्य बनाए रखना चाहिए।

न पहने खंडित रुद्राक्ष, शिवजी का प्रतीक

आस्था : मान्यता है कि ​यदि कोई भक्त रोज एक लोटा जल शिवलिंग पर चढ़ाता है तो उसकी सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। काफी लोग शिवजी की कृपा पाने के लिए रुद्राक्ष धारण करते हैं। रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसुओं से हुई है। इस संबंध में कहा जाता है कि एक बार शिवजी ध्यान में बैठे थे और उस समय उनकी आंखों से आंसु गिरे। ये आंसु ही रुद्राक्ष के वृक्ष में परिवर्तित हो गए। 
बाजार में एक मुखी से 14 मुखी तक के रुद्राक्ष मिलते हैं। सभी का अलग-अलग महत्व है। जो लोग रुद्राक्ष पहनते हैं, उन्हें गलत कामों से बचना चाहिए। मांसाहार न करें और सभी का सम्मान करें। अपने माता-पिता की सेवा करें। नशा न करें। अगर इन बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है तो रुद्राक्ष से शुभ फल नहीं मिल पाते हैं। रुद्राक्ष आकार के अनुसार 3 तरह के होते हैं। जो रुद्राक्ष आकार में आंवले के फल के बराबर होते हैं, उन्हें सबसे उत्तम माना गया है। जिस रुद्राक्ष का आकार बेर के समान होता है, वह मध्यम फल देने वाला माना गया है। चने के बराबर आकार वाले रुद्राक्ष को निम्न श्रेणी में गिना जाता है। जिस रुद्राक्ष को कीड़ों ने खराब कर दिया हो या टूटा-फूटा हो, या पूरा गोल न हो। जिसमें उभरे हुए दाने न हों, ऐसा रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। जिस रुद्राक्ष में अपने आप डोरा पिरोने के लिए छेद हो गया हो, वह सबसे अच्छा रहता है।

28 जुलाई को है सावन माह की पहली एकादशी

ज्योतिष : 28 जुलाई 2019 को सावन माह की पहली एकादशी है। हिन्दी माह दो एकादशियां आती हैं। सावन की दूसरी एकादशी रविवार 11 अगस्त को पड़ेगी। शिवजी के प्रिय माह में आने वाली एकादशी का महत्व काफी अधिक रहता है। रविवार को कामिका एकादशी रहेगी। इस दिन भोलेनाथ के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा जरूर करनी चाहिए। रविवार का कारक ग्रह सूर्य है। इस दिन एकादशी होने से विष्णुजी के साथ सूर्य देव की पूजा जरूर करें। एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय में ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। एकादशी पर शिवजी की विशेष पूजा करें। 
पूजा में बिल्व पत्र, चंदन, धतूरा, चावल, फूल और अन्य पूजा सामग्री के साथ ही जनेऊ भी अवश्य चढ़ाएं। शिवलिंग के सामने बैठकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। सूर्यास्त के बाद किसी ऐसे शिव मंदिर जाएं जो एकांत में हो और वहां शिवलिंग के पास दीपक जलाएं। श्रीहरि को पीतांबर धारी भी कहा जाता है यानी विष्णुजी पीले वस्त्र धारण करते हैं। इसीलिए एकादशी पर भगवान पीले वस्त्र चढ़ाएं। एकादशी का व्रत करें। विष्णुजी के साथ ही महालक्ष्मी की भी पूजा करें। सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। परिक्रमा करें। इस दिन जरूरतमंद लोगों को अनाज और धन का दान करें।

खास उपाय आजमाकर सावन में दूर कर सकते हैं करियर की बाधाएं

आस्था : 17 जुलाई 2019 से ही सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की कृपा से जीवन की हर बाधा दूर हो जाती है। महाकाल शिव न सिर्फ अकाल मृत्‍यु से रक्षा करते हैं बल्कि व्‍यापार और करियर में आ रही बाधाएं भी दूर करते हैं। कुंडली में कुछ विशेष प्रकार के दोषों के कारण करियर और नौकरीपेशे में बाधाएं आती हैं। आपकी कुंडली में यदि चंद्रमा से संबंधित दोष हैं तो सावन के महीने में आप हर सोमवार को भोलेबाबा का कच्‍चे दूध से अभिषेक करें। चंद्रमा संबंधी दोष होने पर व्‍यक्ति मानसिक तनाव से घिरा रहता है और तमाम प्रयासों के बावजूद उसे सफलता नहीं मिलती। सावन में यह उपाय बहुत ही कारगर होता है। आपकी कुंडली में अगर सूर्य की ग्रहदशा है तो आपको समाज में अपमान का सामना करना पड़ सकता है और ऑफिस में आपका बॉस भी आपसे नाराज रहेगा।
 सावन के महीने में आप रोजाना सुबह स्‍नान के पश्‍चात शिवलिंग पर हाथ की पहली 3 उंगलियों से चंदन का लेप लगाएं। भोलेबाबा प्रसन्‍न होकर सब सही कर देंगे। आपकी कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें घर या लग्न स्थान में राहु-केतु बैठकर अशुभ योग बना रहे हैं या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां लगातार बनी रहती हैं तो आप भगवान शिव को धतूरा अर्पित करें।



बुधवार, 24 जुलाई 2019

ऐसे लगायें बिंदी, दमक उठेगा चेहरा

​जीवनशैली : महिलाओं में चेहरे की सुंदरता बिंदी ही लाती है। जिनके चेहरे का आकार गोल हो तो उन्हें भी लंबी बिंदी लगना चाहिए। इस चेहरे पर बहुत बड़ी बिंदी लगाना अवॉयड करें। जिन लोगों का माथा चौड़ा और चिन नुकीली होती है, उनका फेस ट्राएंगल शेप कहलाता है। इस तरह के चेहरे पर आमतौर पर किसी भी शेप और साइज की बिंदी सुंदर लगती है। जब माथा, गालों की हड्डियां और जबड़े की चौड़ाई सब एक बराबर हो, तो ऐसे चेहरे को रेक्टेंगल शेप कहते हैं। ऐसे चेहरे पर गोल व V शेप वाली बिंदी बहुत अच्छी लगती है। स्क्वेयर शेप चेहरे पर ज्योमेट्रिकल डिज़ाइ की बिंदी नहीं फबती है। जिन लोगों का माथा चौड़ा, उभरे हुए गाल और नुकीली चिन हो, ऐसे चेहरे में हार्ट शेप बनता है। इस चेहरे पर छोटी बिंदी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है वहीं बड़ी बिंदी लगाने से बचें। जिन लोगों का फोरहेड और चिन एक ही अनुपात में हो और गाल उभरे हुए हो, वे ओवल शेप चेहरे वाले होते है। इन पर भी हर तरह की बिंदी जंचती है लेकिन लंबी बिंदी ज्यादा खूबसूरत लगाती है।

'कराग्रे वसते लक्ष्मीः' से करें दिन की शुरुआत


जीवनशैली : दिन का शुभ आरंभ शुभ चीजों को देखने से होता है। इसके लिए भारतीय ऋषि-मुनियों ने हमें करदर्शनम यानी हाथों के दर्शन का संस्कार दिया है। शास्त्रों में भी जागते ही बिस्तर पर सबसे पहले बैठकर दोनों हाथों की हथेलियों (करतल) के दर्शन का विधान बताया गया है। इससे व्यक्ति की दशा सुधरती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। जब आप सुबह नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस में मिलाकर पुस्तक की तरह खोल लें और यह श्लोक पढ़ते हुए हथेलियों का दर्शन करें-
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥

अर्थात मेरे हाथ के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी का निवास है। मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान विष्णु का निवास है। अतः प्रभातकाल में मैं इनका दर्शन करता हूं। इस श्लोक में धन की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती और अपार शक्ति के दाता, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की स्तुति की गई है, ताकि जीवन में धन, विद्या और भगवत कृपा की प्राप्ति हो सके। हथेलियों के दर्शन का मूल भाव यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त कर सकें। हमारे हाथों से कोई बुरा काम न हो एवं दूसरों की मदद के लिए हमेशा हाथ आगे बढ़ें।

डायरिया के लिए प्रमुख रूप से रोटा वायरस जिम्मेदार

स्वास्थ्य : नवजात बच्चों को दिन भर में तीन या उससे भी अधिक बार पानी की तरह पतले दस्त होना। इसके अलावा कई बार बुखार और उल्टी भी होती है। ऐसे में बच्चों में पानी और पोषक तत्वों की कमी होने के साथ-साथ अत्यधिक कमजोरी भी हो जाती है। इससे बचने के लिए महिलाओं को जरूर जान लेना चाहिए कि अधिक गर्म या नमीयुक्त वातावरण के साथ दूषित खानपान डायरिया के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। डायरिया पैदा करने के लिए प्रमुख रूप से रोटा वायरस जिम्मेदार होता है जिसके इंफेक्शन की वजह से डायरिया होता है। पानी का साफ न होना या फिर कई बार बाहर का दूध पिलाने पर बच्चों में डायरिया हो सकता है, अगर दूध मिलावटी हो तो यह संभावना और भी बढ़ जाती है। दांत निकलने के समय भी बच्चों में यह समस्या आती है, क्योंकि इस समय मसूड़ों में संवेदनशीलता के कारण वे चुछ न कुछ चबाते हैं जो कई बार साफ नहीं होता और यह डायरिया का कारण बनता है। अगर बच्चों को लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स दिया जाता है, तो यह डायरिया का कारण बनता है। एक गिलास पानी में दो चम्मच शकर और चुटकी भर नमक और नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाकर बच्चे को पिलाएं। नारियल पानी पिलाना भी फायदेमंद होगा, अत: कच्चे नारियल का पानी बच्चे को पिलाएं जिससे पोषक तत्व भी मिलें और डायरिया से राहत भी मिले।

अल्सर से रहें सावधान

स्वास्थ्य : अल्सर, शरीर के अंदर छोटी आंत के शुरुआती स्थान पर या म्यूकल झिल्ली पर होने वाले छाले या घाव होते हैं। इस तरह का अल्सर पेप्ट‍िक अल्सर या फिर गैस्ट्रिक अल्सर कहलाता है। इसका मुख्य कारण पेट में अम्ल का बढ़ना, धूम्रपान एवं नशीले पदार्थों का सेवन, अत्यधि‍क स्टीरॉयड्स का सेवन, अनुवांशिक कारण, अत्यधिक तनाव या खान-पान में गड़बड़ी का होना है। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक जीवाणु का संक्रमण भी पेट में अल्सर होने का एक प्रमुख कारण है।कई लोगों को बार-बार डकार आने की समस्या होती है। यह पेट के अल्सर का एक लक्षण भी हो सकता है। पेट में किसी प्रकार के जख्म या दर्द का एहसास होना एवं आंतों में जलन की शिकायत होना। पेट में सूजन, सीने में जलन एवं गैस की समस्या होना। पेट के ऊपरी भाग में दर्द एवं जलन होना एवं गर्म पेय पीने के बाद असहजता का अनुभव होना। मल में खून आना या मल का रंग गहरा होना। खांसी होने पर खून आना या खून की उल्टी होना। वजन का कम होना और भूख न लगना।

युवाओं में काफी पसंद की जा रही है फैंटेसी स्टाइल मेहंदी

जीवनशैली : जमाने के साथ मेहंदी ने भी अपना रूप रंग बदल दिया है। डिजाइनर ड्रेस व ज्वेलरी के साथ डिजाइनर मेहंदी का भी ट्रेंड जोरों पर है। फैंटेसी स्टाइल मेहंदी युवाओं में काफी पसंद की जा रही है। इसमें आपकी पोशाक व ज्वेलरी के अनुसार आपके हाथों पर मेल खाते रंगों से डिजाइन बनाया जाता है। इसमें फैंटेसी मेकअप में प्रयोग किए जाने वाले रंगों का ही प्रयोग होता है। फिर डिजाइन को रंग-बिरंगे स्टोन, नगों या फिर कुंदन आदि से सजाया जाता है। ये मेहंदी देखने में काफी खूबसूरत लगती है। जरदोजी मेहंदी सिल्वर या गोल्डन शेड लिए होती है। मेहंदी रचे हाथों में सिल्वर या गोल्डन चमकीलियों से डिजाइन बनाया जाता है। ये मेहंदी भी देखने में काफी सुंदर लगती है। अरेबियन स्टाइल में मोटे-मोटे फूल-पत्तियों वाले डिजाइन आजकल खूब चलन में हैं। अरेबियन मेहंदी में ब्लैक केमिकल से आउट लाइन कर बीच में हरी मेहंदी से शेडिंग या उसे पूरा भर दिया जाता है। काले व सुर्खलाल रंग लिए इस मेहंदी पर भी आप अपनी पोशाक के रंग व डिजाइन के अनुसार रंग-बिरंगे स्टोन या कुंदन लगवा सकते हैं। राजस्थानी व मारवाड़ी मेहंदी भी फैशन में है।

मंगलवार, 23 जुलाई 2019

तापसी पन्नू ने आलोचकों को दिया संदेश

मनरंजन : ‘मिशन मंगल’ के पहले पोस्टर में अभिनेता अक्षय कुमार को महिला सहकर्मियों के मुकाबले ज्यादा जगह दिये जाने को लेकर उपजे विवाद के बीच अभिनेत्री तापसी पन्नू ने आलोचकों को सीधा संदेश देते हुए कहा कि स्टार वैल्यू एक ‘क्रूर सच्चाई’ है और इसे स्वीकार करना चाहिए। इस फिल्म में तापसी ने कृतिका अग्रवाल नाम की वैज्ञानिक की भूमिका अदा की है, जो भारत के मिशन का नेतृत्व कर रही महिलाओं में से एक थीं। यह फिल्म 15 अगस्त 2019 को रिलीज होगी। फिल्म में अभिनेता अक्षय कुमार ने राकेश धवन नाम के वैज्ञानिक की भूमिका अदा की है। ‘मिशन मंगल’ का निर्देशन जगन शक्ति ने किया है।

जेपी नड्डा ने प्रज्ञा को तलब किया

राजनीति : भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर की उनकी उस टिप्पणी के लिए भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ‘खिंचाई’ की जिसमें उन्होंने कहा था कि वह शौचालय साफ करने के लिये सांसद नहीं बनी हैं। इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत’ अभियान के उपहास के तौर पर देखा गया। पार्टी सूत्रों ने कहा कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भाजपा मुख्यालय तलब किया गया था जहां नड्डा ने उन्हें साफ बताया कि पार्टी नेतृत्व मध्य प्रदेश के सीहोर में रविवार को उनके द्वारा दिये गए बयान से खुश नहीं है। उन्होंने ठाकुर की खिंचाई करते हुए कहा कि वह पार्टी के कार्यक्रमों और विचारों के खिलाफ बयान देने से बचें। पार्टी कार्यालय से निकलते वक्त भाजपा सांसद ने वहां मौजूद पत्रकारों से बात नहीं की।
मध्य प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए 2008 मालेगांव बम धमाका मामले की आरोपी ठाकुर ने कहा था कि एक सांसद का काम विधायकों, पार्षदों और जन प्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम करते हुए विकास सुनिश्चित करना होता है। ठाकुर बम धमाका मामले में फिलहाल जमानत पर हैं। ठाकुर ने अपना पहला लोकसभा चुनाव भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को हराकर जीता था।