शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

मंदिर में पूजापाठ हिंदू करते हैं और देखभाल मुसलमान

ढाका : 90 फीसदी से अधिक आबादी मुस्लिमों की है बांग्लादेश में। यहां मस्जिदों के अलावा कुछ मंदिर भी हैं। इनमें एक प्रमुख मंदिर है दिनाजपुर जिले के कहरोल में 18 वीं सदी का बना कांतोज्यू मंदिर। राधा-कृष्ण के इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें पूजापाठ हिंदू करते हैं, लेकिन इसके रखरखाव की जिम्मेदारी मुस्लिम संभालते हैं। वे रोजाना मंदिर की सफाई करते हैं। साल में दो-तीन बार मंदिर के चारों ओर बनी छोटी-छोटी मूर्तियों की पॉलिश की जाती है। विनय कुमार मोहंतो, जो कि इस एतिहासिक मंदिर का कामकाज देखते हैं, वे कहते हैं कि ये मंदिर अब पूरी दुनिया में प्रसिद्ध होता जा रहा है। केवल भारत से ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जर्मनी, नेपाल, श्रीलंका, जापान, मलेशिया, ब्रिटेन और सिंगापुर आदि देशों से श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं। मंदिर के आसपास मुस्लिम आबादी है। वे भी यहां आते हैं। इस मंदिर को बांग्लादेश सरकार ने अपनी धरोहर घोषित किया है। स्थानीय पुलिस भी यहां तैनात की गई है। खास बात है कि यहां पर कभी कोई ऐसी घटना नहीं हुई, जिससे मंदिर में पूजापाठ करने वाले लोगों को भय महसूस हुआ हो। रोजाना एक हजार से ज्यादा लोग यहां आते हैं। इनमें अधिकांश पर्यटक होते हैं। साल में एक बार मेला लगता है। मंदिर की हर एक टाइल पर महाभारत और रामायण काल की घटनाओं और प्रसंगों का उल्लेख है। कलाकृतियों के जरिए गीता में लिखी बातों को समझाने का प्रयास किया गया है। विनय कुमार मोहंतो बताते हैं, कांतोज्यू मंदिर की एक बड़ी खासियत यह है कि यहां पर राधा-कृष्ण की मूर्तियां स्थायी नहीं हैं। दिन में इन मूर्तियों को दर्शन के लिए बरामदे में रखा जाता है। शाम को ये मूर्तियां वापस अंदर रख दी जाती हैं। शुरू से यही परंपरा चली आ रही है। इसकी वजह ये है कि मंदिर ऊंचाई पर है और यहां एक साथ ज्यादा लोगों के खड़े होने की जगह नहीं है, इसलिए मंदिर के नीचे खड़े होकर राधा-कृष्ण के दर्शन किए जाते हैं। बरामदे में मूर्तियों को रखने के लिए आसन बनाया गया है।

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