मंगलवार, 30 जुलाई 2019

लक्ष्मी माता के आठ रूप

अध्यात्म : देवतों से ज्यादा शक्तिशाली माता रानी को बताया गया है। हर शख्स अपने जीवन में धन, विद्या, वैभव और शक्ति के लिए माता रानी की आराधना करता है। आज आपको एक ऎसे मंदिर के बारें में बताने जा रहे है। चेन्नई के अडयार समुद्र तट पर अष्टलक्ष्मी का सुंदर मंदिर स्थित है। अष्टलक्ष्मी मंदिर लक्ष्मी माता के आठ रूपों को समर्पित है। देवी लक्ष्मी के ये विविध रूप हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अष्टलक्ष्मी हमें धन, विद्या, वैभव, शक्ति और सुख प्रदान करती हैं। इस मंदिर में लक्ष्मी की आठ अलग-अलग मूर्तियां अलग-अलग तलों पर स्थापित की गई हैं। यहां आदि लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, विजया लक्ष्मी, संतना लक्ष्मी और धन लक्ष्मी के दर्शन होते हैं। सभी देवियों के मंदिर घडी की सूई की दिशा में आगे बढते हुए दिखाई देते हैं। सबसे अंत में नवम मंदिर है, जो भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का है। इस मंदिर में विष्णु की तुलना में लक्ष्मी को प्राथमिकता दी गई है। इस मंदिर का निर्माण 1974 में आरंभ किया गया। मुकुर श्रीनिवास वरदचेरियार की अगुवाई में बनी समिति ने इस मंदिर का निर्माण कराया। 5 अप्रैल 1976 से इस मंदिर में विधिवत पूजा आरंभ हुई। मंदिर का डिजाइन ओम के आकार का है। नवरात्रि और गोकुलअष्टमी मंदिर के प्रमुख त्योहार हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कमल का पुष्प जरूर चढ़ाते हैं। हर लक्ष्मी के लिए लोग अलग-अलग कमल के फूल लेकर जाते हैं। मंदिर के ऊपरी हिस्से से समुद्र का सुंदर नजारा दिखाई देता है।
वहीं समुद्र के तट से मंदिर भी काफी सुंदर नजर आता है। मंदिर का निर्माण तीन मंजिलों में हुआ है। मंदिर के चारों तरफ विशाल आंगन है। इसके परिसर में पूजा सामग्री की दुकान भी है। मंदिर में पूजा का समय सुबह 6.30 बजे से आरंभ होता है। दोपहर 12 बजे मंदिर बंद हो जाता है। फिर शाम को 4 बजे खुलता है और रात के 9 बजे बंद हो जाता है। 

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