मंगलवार, 30 जुलाई 2019

देखने और घूमने लायक है विश्व प्रसिद्ध पिंजौर गार्डन

चंडीगढ़ : पंचकूला से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर शिमला मार्ग पर शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसा खूबसूरत विश्व प्रसिद्ध पिंजौर गार्डन देखने और घूमने लायक है। करीब डेढ़ करोड़ वर्ष पहले के लगभग मानव की उपस्थिति पिंजौर क्षेत्र में मानी गई है। पिंजौर स्थित बाग जिसे यादवेन्द्रा गार्डन भी कहते हैं, की बाहरी दीवारें पुराने किले सी लगती हैं, लेकिन बाग में पहुंचते ही दृश्य बदल जाता है। हरियाली की गोद में बसा हसीन ख्वाब। ऊंचाई से इठलाकर गिरकर, फिर फव्वारों के साथ नाचता और ठुमककर बहता पानी। पड़ोसन हरी मखमली घास पर बिखरी बूंदों को मोतियों सी दमकाती धूप। क्यारियों में यहां बनाया शीश महल राजस्थानी मुगल वास्तु शैली का उत्कृष्ट नमूना है। रंगमहल से सामने फैला बाग़ आत्मसात होता है। कैमरा अपना रोल खूब निभाता है। क्यारियों में पौधे, खुश्बू बिखेरते दर्जनों किस्म के रंग बिरंगे फूल और फुदकती नाचती तितलियां। बॉटल पाम व अन्य वृक्ष तन मन को सौम्य बना देते हैं। बहते पानी के साथ सुकून देता संगीत भी प्रवाहित हो रहा होता है। जल महल कैफे का खाना चाहे स्वाद न लगे मगर सफेद रंग में पुते क्लासिक आयरन फर्नीचर पर बैठ कर लुत्फ आ जाता है। सात तलों में बना यह बाग वास्तुकला का अनूठा नमूना है। रात जवां होने लगती है तो रोशनियों में नहा उठा यह बाग अलग ही छटा बिखेर देता है। वस्तुतः यहां उग आए निर्मल आनंद के पहलू में दिल खो जाता है। आंखों को सुख पहुंचाते बहते पानी में खिल उठा सतरंगी प्रकाश यहां उत्सव के माहौल की रचना कर देता है। बाग़ के अंतिम भाग में ओपन एअर थिएटर बनाया गया है जहां प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम वक़्त को और मनोरंजक व यादगार बना देते हैं। 

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